नक्सलवाद से पिछले 4 दशक से जूझ रहे छत्तीसगढ़, खासकर बस्तर में माओवादी नेटवर्क से मुकाबले के लिए अब दूरसंचार नेटवर्क का जाल बिछाने की तैयारी है। केंद्र सरकार की लेफ्ट विंग एक्सटर्मिस (एलडब्लूएस) योजना से प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 971 टावर लगाए जाने हैं, जिनमें 745 के लिए लोकेशन का सर्वे हो चुका है।
दुर्गम जंगलों और माओवादी खतरे की वजह से 226 जगह बची हैं, लेकिन जगदलपुर से 48 किमी दूर ऐसे ही दुर्गम गांव साड़रा बोडेनार में मोबाइल टाॅवर लगा दिया गया है। भास्कर टीम गांव में पहुंची तो लोगों ने बताया कि इमरजेंसी में पहाड़ पर एक किमी चढ़ते थे, तब काॅल लगता था। इससे गांव में एक-दो मोबाइल फोन ही थे, लेकिन अब हर दूसरे घर में है और वहीं से चौबीसों घंटे काॅल लग रही है।
साड़रा बोडेनार गांव और आसपास नक्सली दबाव को इसी से समझा जाता है कि टाॅवर लगना तो दूर, यहां 3 साल पहले पुलिया बन रही थी तो नक्सलियों ने तोड़ दिया था और गाड़ियां जलाई थीं। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। उपमहानिदेशक ग्रामीण आशीष दास और निदेशक नीरेश शर्मा का कहना है कि टावर लगाने का काम तेजी से चल रहा है।
इमरजेंसी में पहाड़ पर भी ऊंचे पेड़ की तलाश करते थे, अब तो हर दूसरे घर में मोबाइल फोन
उपसरपंच शंकर कश्यप ने बताया कि एक महीने पहले तक अगर गांव में किसी की तबियत बिगड़े और एम्बुलेंस बुलानी हो तो पहाड़ पर 1 किमी दूर जाकर चढ़ना पड़ता था। वहां भी ऊंचे पेड़ तलाशने होते थे, तब जाकर नेटवर्क मिलता था।
गांव के गंगाराम पुडयामी, मसोराम कवासी और राजू कवासी ने बताया कि अब 24 घंटे नेटवर्क है। 1,500 की आबादी वाले गांव में हर दूसरे घर में मोबाइल है। नेटवर्क गांव में ही नहीं, इसके 3 किमी दायरे तक है।
फैक्ट फाइल
- 971 टाॅवर प्रदेश में लगने हैं
- 745 जगह सर्वे पूरा हुआ
- 226 स्थान सर्वे में रुकावट
- 88 लाख रु. केंद्र का खर्च
- 2500 गांव यहां नेटवर्क नहीं
कुछ जगह सर्वे बाकी
भारत दूरसंचार सेवा के उप महानिदेशक आरके गढ़वाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में मोबाइल नेटवर्क फैला रहे हैं।
आईएएस बनना चाहती है शांति अब गांव में ही ऑनलाइन पढ़ाई
11 साल की शांति बस्तर के उन 10 विद्यार्थियों में से एक है, जिसका चयन शासकीय योजना के तहत राजनांदगांव में डीपीएस स्कूल में हुआ है। वह आईएएस (कलेक्टर) बनना चाहती है।
गर्मी की छुट्टियों में अपने गांव यानी साड़रा बोडेनार आई शांति से भास्कर टीम मिलने पहुंची तो वह घर पर यू-ट्यूब से पढ़ाई कर रही थी। उसने बताया-गांव में पहले नेटवर्क नहीं था, तो ऑनलाईन पढ़ाई नहीं हो पाती थी।