रायगढ़। जल जीवन मिशन अंतर्गत रायगढ़ जिले के हर घर में नल से समयसीमा में पानी पहुंचाना ही लक्ष्य है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के अंतिम व्यक्ति को शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने भी संकल्पित हूं। वहीं, भविष्य में जल संकट की विकट स्थिति न बने, इसके लिए पौधरोपण करते हुए पानी का दुरुपयोग रोकने के साथ वाटर स्टोरेज भी मौजूद समय की मांग है। यह कहना है-लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता परीक्षित चौधरी का।
मूलतः महासमुंद जिले के ग्राम परसदा (सराईपाली) निवासी और रसायन शास्त्र के सेवानिवृत्त प्राध्यापक चैनसिंह चौधरी तथा स्व. श्रीमती सावित्री देवी के घर 1 फरवरी को 1967 को जन्म लेने वाले परीक्षित चौधरी दो भाईयों एवं एक बहन में सबसे बड़े हैं। अम्बिकापुर के होलीक्रॉस कॉन्वेंट स्कूल में कक्षा पहली से छठवीं तक प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा के बाद सातवीं और आठवीं की पढ़ाई इन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर रींवा में की। नवमीं से ग्यारहवीं मैट्रिक की पढ़ाई बीएसपी हायर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-8 भिलाई में पूरी कर रायपुर गए और वहां गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (एनआईटी) से 1990 में सिविल इंजीनियरिंग पास आउट हुए।
*पॉली कॉलेज में अंशकालीन शिक्षक के तौर पर हुई शुरुआत*
सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होते ही परीक्षित चौधरी दुर्ग के पॉलिटेक्निक कॉलेज में अंशकालीन शिक्षक के रूप में अपने कैरियर का श्रीगणेश किया। 1991 से 92 तक सालभर पॉली के स्टूडेंट्स को तकनीकी ज्ञान देने वाले परीक्षित ने फिर 92-93 में इंदौर से एमटेक भी किया। वहीं, सीपीडब्ल्यूसी के एंट्रेंस एक्जाम पास कर जूनियर इंजीनियर के रूप में 6 माह काम किया। इसी तरह पीडब्ल्यूडी में भी जेई बने और 94 से फरवरी 95 तक मुंबई में रहे। चूंकि, परीक्षित के पिता शिक्षाविद थे इसलिए पारिवारिक वातावरण काफी शिक्षित होने का असर भी इन पर खूब पड़ा और ये बगैर कोचिंग के सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते गए।
*पीएससी परीक्षा ने बदली तकदीर*
अविभाजित मध्यप्रदेश में रहने के दौरान परीक्षित चौधरी ने पीएससी परीक्षा में अपना भाग्य आजमाया तो 1995 में इंजीनियरिंग सर्विस में सहायक अभियंता के रूप में राजधानी भोपाल में इन्होंने चार्ज सम्हाला। सालभर बाद रायगढ़ आए और 1996 से 2006 तक रहे। फिर, 2008 से 08 तक राजधानी रायपुर के प्रमुख अभियंता कार्यालय में पदस्थ रहे। इस दौरान 08 से 10 तक महासमुंद में प्रभारी कार्यपालन अभियंता का कामकाज देखने वाले श्री चौधरी का प्रमोशन हुआ और 2010 से 12 तक जांजगीर-चाम्पा जिले में कार्यपालन अभियंता बने। 2012 से 13 तक प्रमुख अभियंता कार्यालय रायपुर, फिर 13 से 17 तक महासमुंद, 17 से 20 तक बेमेतरा, 20 से 22 तक प्रमुख अभियंता रायपुर के बाद विगत 29 जनवरी से रायगढ़ में कार्यपालन अभियंता की कमान सम्हाल रहे हैं।
*जीवनसंगिनी रेवती और दो बेटों से महकता है घर आंगन*
2006 में परीक्षित जब सहायक अभियंता थे, तब उन्होंने महासमुंद के पन्धी में रहने वाली रेवती को अपना हमसफर बनाया और अग्नि के समक्ष सात फेरे लेते हुए सामाजिक रीति रिवाज से विवाह किया। परीक्षित और रेवती की दाम्पत्य रूपी उपवन में पुत्र रूपी दो फूल खिले। बड़ा बेटा विवेक चौधरी वर्तमान में धर्मनगरी प्रयागराज में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया में जूनियर एक्सिक्यूटिव हैं तो छोटा बेटा मलय ग्रेजुएशन कर चुका है। ऐसे में परीक्षित चौधरी खुशहाल परिवार का आनंद लेते हुए अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
*चिला और टमाटर की चटनी है पसंदीदा व्यंजन*
खेल के प्रति रुझान रखने वाले परीक्षित चौधरी को फुटबॉल, क्रिकेट, शतरंज और बैडमिंटन खेलने में खूब मजा आता है तो छत्तीसगढ़िया व्यंजन चिला और टमाटर की चटनी के ये दीवाने हैं। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और रेखा की फिल्में देखने के शौकीन परीक्षित को बनावटी बोल बोलने वाले दोमुंहे शख्सों से परहेज हैं तो सीधे-साधे व खुले दिल वाले इनको पसंद हैं। संतान प्राप्ति इनके जीवन के सर्वाधिक खुशी के क्षण हैं। धार्मिक महाग्रन्थ रामायण इनकी पसंदीदा पुस्तक है तो मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं इनकी फेवरेट है।
*प्रदूषण की मार से कराह रहे रायगढ़ को स्वच्छ बनाने की है दरकार*
ईई चौधरी बताते हैं कि पहले के रायगढ़ और अब की औद्योगिक नगरी में काफी बदलाव है। औद्योगिकरण के विस्तार के साथ प्रदूषण भी हावी है। ऐसे हालात में पर्यावरण संरक्षण के लिए रायगढ़ को साफ सुथरा बनाने की दिशा में काफी काम करना निहायत जरूरी है। लोगों को भी इसके लिए और जागरूक होना चाहिए। सार्वजनिक स्थलों को भी घर की तरह साफ सुथरा रखें तो सुघ्घर रईगढ़ की परिकल्पना जरूर पूरी होगी।
*पानी को पाताल में जाने से रोकने के लिए हों जागरूक*
श्री चौधरी भी मानते हैं कि भू-जल स्तर में काफी गिरावट आई है। नलकूप आधारित कृषि बढ़ने पर फसल चक्र परिवर्तन की आवश्यकता है। ग्रीष्मकालीन धान में भी कमी की जरूरत है। हालांकि, वाटर स्टोरेज के लिए राज्य सरकार का नरवा कार्यक्रम संचालित है। इसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छोटे नालों से बड़ी नदियों में पानी रोकने की महत्वपूर्ण मुहिम चल रही है, जिसका बेहतर प्रतिसाद भी मिल रहा है। अब वक्त है कि ग्रामीण इलाकों में वृहद स्तर पर न केवल पौधरोपण करना चाहिए, बल्कि उसके संरक्षण पर भी ध्यान देते हुए पानी का दुरुपयोग रोकने लोगों को सचेत होना चाहिए।
*प्रशासनिक अधिकारी नहीं बनते तो शिक्षक होते*
कार्यपालन अभियंता श्री चौधरी कहते हैं कि कलेक्टर भीम सिंह काफी संवेदनशील हैं। वे त्वरित निदान करने में माहिर हैं, इसलिए यहां बेहतर प्रशासनिक कार्य होता है। अंत में उन्होंने कहा कि अगर वे प्रशासनिक अफसर नहीं बनते तो शिक्षक बनकर ज्ञान की रोशनी बिखेरते रहते।