सरपंच ने पूर्व महिला सरपंच के परिवार को बहिष्कृत कर बन्द कराया दाना-पानी  जिला और पुलिस प्रशासन की पहल पर जमीन विवाद मामले का हुआ सुखद पटाक्षेप

सरपंच ने पूर्व महिला सरपंच के परिवार को बहिष्कृत कर बन्द कराया दाना-पानी जिला और पुलिस प्रशासन की पहल पर जमीन विवाद मामले का हुआ सुखद पटाक्षेप

 

रायगढ़, 12 अप्रैल। जमीन विवाद में सरपंच द्वारा दबंगई दिखाते हुए पूर्व महिला सरपंच के 19 सदस्यीय परिवार का बहिष्कार करते हुए हुक्का पानी बन्द कराने का मामला प्रकाश में आया है। यही नहीं, बहिष्कृत परिवार से बात करने या उनसे मेलजोल रखने पर 1100 रुपए जुर्माने का कोटवार से मुनादी भी कराई गई। पीड़ित परिवार ने कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस जाकर रामकहानी सुनाई तो शाम को हरकत में प्रशासन की पहल पर दोनों पक्षों का समझौता भी कराया गया।
पुसौर विकासखण्ड के ग्राम त्रिभौना में रहने वाला बोधराम गुप्ता अपने भतीजे संतोष गुप्ता और परिवार के साथ बुधवार दोपहर तपती धूप में प्लास्टिक की जरकीन में पानी भरकर कलेक्ट्रेट पहुंचा। कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के नाम ज्ञापन लेकर पहुंचे चाचा-भतीजे ने बताया कि सरपंच राजीव खम्हारी ने बीते 11 अप्रैल की शाम कोटवार लाभो चौहान के जरिये गांव में मुनादी कराई कि गांव से उनका बहिष्कार कर दिया गया है, इसलिए कोई भी इनसे बातचीत, लेनदेन या किसी भी प्रकार का मेलजोल करेंगे तो उसे 1100 रुपए का जुर्माना देना होगा।
सरपंच के इस फरमान के बाद से गांव का कोई भी शख्स पीड़ित परिवार से ताल्लुक नहीं रख रहा। संतोष के बेटे आयुष की आठवीं कक्षा की परीक्षा चल रही है, ऐसे में ट्यूशन पढ़ाने वाले ने भी उसे अपने घर से खदेड़ दिया है। गांव के तालाब में नहाने पर भी गुप्ता परिवार के 6 बच्चे सहित 19 सदस्यों पर पाबंदी लगा दी गई है। सरपंच के कहने पर ग्रामीणों द्वारा जातिगत और सामाजिक बहिष्कार की मार झेल रहे गुप्ता परिवार की मुलाकात जब कलेक्टर से नहीं हुई तो वे पुलिस अधीक्षक कार्यालय गए और एडिशनल एसपी संजय महादेवा से मिलकर आपबीती बताते हुए न्याय की फरियाद की।
चूंकि, मामला सामाजिक बहिष्कार का था, इसलिए जब इसकी सूचना कलेक्टर को लगी तो उन्होंने तहसीलदार को असलियत जानने के लिए तत्काल त्रिभौना भेजा। प्रशासनिक अधिकारी जब पुलिस के साथ गांव पहुंचे और लोगों से पूछताछ की तो मामला जमीन विवाद का निकला। फिर क्या, जिला और पुलिस प्रशासन ने दोनों परिवार को ग्रामीणों की मौजूदगी में नियम कानून का पाठ पढ़ाते हुए समझाया तो उन्होंने कोर्ट जाने का रास्ता निकालते हुए आपस मे समझौता कर लिया। वहीं, बोधराम तथा संतोष गुप्ता द्वारा सरपंच के खिलाफ अपनी शिकायत वापस लेने की बात कहते ही सामाजिक बहिष्कार का मुद्दा आखिरकार सुलझ गया।

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