शिक्षा के मंदिर को कारोबार बनाने के खिलाफ पालक संघ हुआ लामबंद  निजी स्कूलों व पुस्तक दुकानों की मनमानी के खिलाफ कलेक्टर के नाम सौंपा ज्ञापन

शिक्षा के मंदिर को कारोबार बनाने के खिलाफ पालक संघ हुआ लामबंद निजी स्कूलों व पुस्तक दुकानों की मनमानी के खिलाफ कलेक्टर के नाम सौंपा ज्ञापन

 

रायगढ़, 12 अप्रैल। अब उन निजी स्कूलों और पुस्तक विक्रेताओं की खैर नहीं, जो शिक्षा को कारोबार बनाकर अपनी जेबें भर रहे हैं। पालक संघ ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपते हुए प्रायवेट स्कूलों में मनमानी और किताब दुकानदारों को सबक सिखाने के लिए प्रशासन को सर्व दलीय बैठक कराने का सुझाव भी दिया है।
हरेक साल जिस तरह शिक्षा व्यवस्था में बदलाव कर साथ खासकर निजी स्कूलों में पढ़ाई महंगी हो रही है, उसने मध्यम तथा निम्न वर्ग के लोगों की कमर तोड़कर रख दी है। यही वजह है कि प्रायवेट स्कूल संचालकों की नए डिमांड से परेशान अभिभावकों ने अब पालक संघ बनाकर मोर्चा खोल दिया है। चूंकि अधिकतर प्रायवेट स्कूलों और पुस्तक विक्रेताओं के बीच सांठगांठ के आरोप लगते हैं, साथ ही हरेक साल स्कूल फीस में बढ़ोतरी भी की जाती है, लिहाजा शिक्षा को व्यापार का रूप देने वाले निजी स्कूलों और पुस्तक दुकानदारों की गलाकाट प्रतिस्पर्धा पर लगाम लगाने के लिए पालक संघ ने कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के नाम के नाम संयुक्त कलेक्टर भरत ध्रुव को शिकायत पत्र सौंपते हुए सर्वदलीय बैठक कराने का सुझाव भी दिया।
पालक संघ के तारा श्रीवास, लक्ष्मीकांत दुबे, अंशु टुटेजा, सत्यप्रकाश शर्मा, कौशल अग्रवाल, रिंकू विश्वास, अरुण नामदेव ने बताया कि सभी स्कूलों में एनसीआरटी की पुस्तकें अनिवार्य है, लेकिन निजी स्कूलों में इस नियम की धज्जियां उड़ाई जाती है। वहीं, अन्य पब्लिसर की पुस्तकों को प्राथमिकता देते हुए अधिकांश स्कूल प्रबंधन अपने चिन्हित बुक सेंटरों में भेजते हुए कमीशन खोरी को बढ़ावा देते हैं। ऐसे में पालकों ने प्रशासनिक अफसर से अपनी समस्या गिनाते हुए छात्रहित में शिक्षा विभाग से सकारात्मक कदम उठाने का अनुरोध भी किया। यही नहीं, पालक संघ ने पत्रकारों को बताया कि अगर निजी स्कूलों की मनमानी नहीं रुकेगी तो वे आंदोलन का डगर पकड़ने के लिए भी पीछे नहीं हटेंगे।

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