रंग पंचमी पर्व: होली के 4 दिन बाद क्यों मनाते हैं, जानिए!

रंग पंचमी पर्व: आज देश भर में रंग पंचमी पर्व को मनाया जा रहा है। होली के बाद यानी चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को यह त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

रंग पंचमी का पर्व होली के त्योहार का ही एक खास दिन होता है। होली का पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ हो जाता है और पंचमी तिथि तक चलता है।

पंचमी तिथि पर पड़ने के कारण ही इसे रंग पंचमी का पर्व कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष इस तिथि पर अबीर-गुलाल,हल्दी और चंदन के साथ ही फूलों से बने रंग आसमान में उड़ाने से राजसिक और तामसिक शक्तियों का प्रभाव कम होकर मन में सात्विक भाव आता है।

इससे सभी देवी-देवता बहुत ही प्रसन्न होते हैं।

रंग पंचमी का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह दिन देवताओं को समर्पित होता है।

ऐसा कहा जाता है कि रंग पंचमी के दिन रंगों के प्रयोग से सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा का संवहन होता है।

इसी सकारात्मक ऊर्जा में लोगों को देवताओं के स्पर्श की अनुभूति होती है।

वहीं सामाजिक दृष्टि से इस त्योहार का महत्व है। यह त्योहार प्रेम-सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक है।

महाराष्ट्र में रंग पंचमी का विशेष महत्व

  • रंग पंचमी का त्योहार वैसे तो देश के हर एक हिस्से में मनाया जाता है
  • लेकिन महाराष्ट्र में रंग पंचमी का पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है।
  • इसमें लोग सूखे गुलाल के साथ रंग खेलते हैं।
  • इस दिन विशेष प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और मित्रों और रिश्तेदारों को दावत दी जाती है।
  • नृत्य, गीत और संगीत के साथ यह उत्सव मनाया जाता है।
  • महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी रंग पंचमी धूमधाम के साथ खेली जाती है।
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