भारतीय रेलवे के बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने एक रिकार्ड कायम किया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक के सर्वाधिक रेल इंजनों का निर्माण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस वित्तीय वर्ष मोजाम्बिक (ईस्ट अफ्रीका) को निर्यात 04 रेल इंजनों सहित कुल 367 रेल इंजनों का निर्माण किया गया, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इन 367 रेल इंजनों में यात्री रेल इंजन WAP7 कुल 31, मालवाहक रेल इंजन WAG9 कुल 332 एवं मोजाम्बिक के लिए चार रेल इंजन सम्मिलित हैं।
भारतीय रेलवे
बरेका में बनने वाले डीजल लोकोमोटिव अफ्रीका में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करते हुए इन केप गेज डीजल रेल इंजनों को निर्यात के लिए भारत द्वारा डिजाइन और निर्मित व वित्तपोषित मोजाम्बिक के लिए निर्यात किया गया था। इन इंजनों का उद्घाटन औपचारिक रूप से मोजाम्बिक के राष्ट्रपति ने 11 फरवरी 2022 को बीरा, मोजाम्बिक में जिम्बाब्वे और भारत के उच्चायुक्त की उपस्थिति में किया था। हाल में मेसर्स राइट्स के अधिकारियों के साथ जिम्बाब्वे के राष्ट्रीय रेलवे की पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत का दौरा किया।
बनारस रेल कारखाना
बनारस रेल कारखाना भारतीय रेल का एक महत्वपूर्ण उपक्रम है। यहां रेल इंजन तैयार किए जाते हैं। बनारस रेल कारखाना पूरी तरह से स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत का एक उपक्रम है। क्रैंक-केस असेंबली, जो रेल इंजन का सबसे महत्वपूर्ण आइटम है, इसे बरेका में इन-हाउस बनाया गया है। इन इंजनों को वर्तमान में कोयला खदानों से कोयला ढोने के लिए अलग-अलग इकाइयों में सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है।
महाप्रबंधक बरेका अंजली गोयल
महाप्रबंधक बरेका अंजली गोयल ने राइट्स और उन्हें अपने निर्यात आदेशों को पूरा करने में पूर्ण समर्थन और मुस्तैदी का आश्वासन दिया। महाप्रबंधक बरेका ने जिम्बाब्वे की टीम को यह भी आश्वासन दिया कि बरेका जिम्बाब्वे के राष्ट्रीय रेलवे के आर्थिक विकास और आधुनिकीकरण में भाग लेने के लिए बहुत उत्सुक है। जिम्बाब्वे के राष्ट्रीय रेलवे की टीम ने बरेका में उपलब्ध निर्माण सुविधाओं को देखने के लिए 29 मार्च को बनारस रेल इंजन कारखाना का दौरा किया। इस अवसर पर बरेका के उच्चाधिकारियों की टीम के साथ प्रतिनिधियों की बैठक हुई। बैठक के दौरान, बरेका की क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया और जिम्बाब्वे के प्रतिनिधिमंडल को निर्यात किए गए लोको के विवरण से अवगत कराया गया।
वैश्विक महामारी कोरोना काल
वैश्विक महामारी कोरोना काल और लॉकडाउन के वक्त भी भारतीय रेलवे के कर्मचारी बिना रुके, बिना थके अनवरत कार्य में लगे रहे। चाहे कोविड मरीजों तक ऑक्सिजन पहुंचाना हो, श्रमिकों को उनके घर तक भेजना है, किसानों के उत्पादों को बाजार तक या दूसरे राज्य भेजना हो। इन सब के अलावा रेलवे ट्रेनों में भी नए तरह के कोच बना रहे हैं, साथ ही आत्मनिर्भर भारत के तहत मेक इन इंडिया रेल इंजन तैयार कर रहे हैं, जो निर्यात भी किया जा रहा है।
लगातार बढ़ी कमाई
बरेका ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में निर्यात हुए लोको से 60.68 करोड़ एवं वर्ष 2011 से अब तक कुल 704 करोड़ तथा गैर रेलवे ग्राहकों से वर्ष 2011 से अब तक 1837 करोड़ राजस्व हासिल किया है। वर्ष 2021-22 में बरेका ने निर्यातित रेल इंजनों के पुर्जों से 6.09 करोड़ राजस्व की प्राप्ति की। यह पिछले वर्ष 2020-21 में 1.08 करोड़ थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में 464 फीसदी अधिक है। गैर रेलवे ग्राहकों से रेल इंजनों के पुर्जों के आपूर्ति से 16.4 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई। यह पिछले वर्ष 2020-21 में 8.29 करोड़ थी, जो तुलनात्मक रूप से 98.6 फीसदी अधिक रही।