Hasda School:बच्चों की जान को खतरा हसदा का स्कूल दिया तले अंधेरा की मिसाल नए भवन प्रस्ताव को नहीं मिली मंजूरी

Hasda School:बच्चों की जान को खतरा हसदा का स्कूल दिया तले अंधेरा की मिसाल नए भवन प्रस्ताव को नहीं मिली मंजूरी

Hasda School: आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं की कक्षा छठवीं से लेकर के कक्षा बारहवीं तक के स्टूडेंट खुले आसमान के नीचे कैंटीन या लैब में बैठकर के पढ़ाई करने को मजबूर हो गए जी हां बताया जा रहा है कि स्कूल भवन की छत और खंभे जर्जर होने से गिर चुके हैं जिससे बच्चों की जान को खतरा बना रहता है इसमें शिक्षक और स्टूडेंट दोनों की जान को खतरा है सरकार स्मार्ट क्लास नई शिक्षा नीति और विकास के दावे करती है लेकिन हसदा का स्कूल दिया तले अंधेरे की मिसाल है बताया जा रहा है कि स्कूल के छात्रों ने बारिश के दिनों में क्लास रोककर छुट्टी दे दी जाती थी क्योंकि खुले में बैठना और जर्जर छत के नीचे बैठना बहुत ही खतरनाक है .

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खंडहर बना स्कूल भवन

आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि 1981 में बनाया भवन आज खंडार के रूप में बदल चुका है 2012 से 13 में जन सहयोग से लाई और चार कमरे बने लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं है 90% अंकल आने वाले स्टूडेंट कहते हैं कि खुले में पढ़ाई से ध्यान भटकता है कहीं सड़क से गुजरते वाहन कभी कुत्ते बंदर तो कभी बारिश का पानी कई स्टूडेंट के परिणाम 20 से 30% तक के गिर गए हैं स्कूल में एक स्टूडेंट ने कहा है कि हमारे पास किताबें है टीचर है लेकिन भवन नहीं है डर हमेशा बना रहता है कि कई छत गिरकर जान ना लेले

खुले में लगती क्लास

आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि प्रिंसिपल रामकृष्ण निषाद ने कहा है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए खुले में कैंटीन या लैब में क्लास लेनी पड़ती है हमने कई बार नए भवन के लिए प्रस्ताव दिया सांसद विधायक तक के गुहार लगाई लेकिन अभी तक के मंजूरी नहीं मिली गांव के सरपंच ने बताया कि 1981 में अब तक यानी की 44 साल में कई बार शासन को नए भवन की मांग भेजी गई 15 साल में लगातार आश्वासन का सिलसिला चल रहा है जनवरी से सांसद बृजमोहन यादव ने एक साल में नया भवन देने की घोषणा की थी लेकिन अब तक के कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया .

दिया तले अंधेरा की मिसाल बने स्कूल

आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि सरकार स्मार्ट क्लास नई शिक्षा नीति और विकास के दावे करती है लेकिन हंसना का स्कूल दिया तले अंधेरे की मिसाल है यहां ना बिजली की व्यवस्था है और ना ही सुरक्षित क्लासरूम बच्चे और शिक्षक दोनों पर खतरा है और शिक्षा का माहौल बदल चुका है गांव वाले और अभिभावक सरकार से अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द नए भवन बनाया जाए जिससे बच्चों की जान सुरक्षित रहें

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