रायगढ़, 30 अगस्त 2025/ 40वें चक्रधर समारोह के चौथे दिन की सांस्कृतिक संध्या का समापन दिल्ली से आए मशहूर कव्वाल जनाब अनीस साबरी के शानदार कव्वाली प्रदर्शन के साथ हुआ। उनकी दमदार आवाज़, लयबद्ध संगत और सूफियाना अंदाज ने ऐसा समां बांधा कि समारोह स्थल देर रात तक संगीत और तालियों की गूंज से सराबोर रहा। अनीस साबरी ने एक के बाद एक लोकप्रिय कव्वालियों और सूफी गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
अनीस साबरी ने चक्रधर समारोह में विशेषकर अली मौला, बहती है प्रेम की गंगा बहने दो……..छत के ऊपर एक तिरंगा रहने दो, प्यार झूठा था तो जताया ही क्यूं……..ऐसे जाना था तो आया ही क्यूं, दुश्मनों से मोहब्बत करो, तुझे प्यार करते करते मेरी उम्र बीत जाए…..तेरे दिल की धड़कनों में कोई गीत गुनगुनाऊ, प्यार से प्यार का सामान बनाया जाए, मां से बढ़कर कोई दूसरा प्यार दुनिया में होता नही, जैसे देशभक्ति और सुप्रसिद्ध गीतो की प्रस्तुति ने समारोह में आध्यात्मिकता, ऊर्जा और भारत देश में रहने वाले सभी हिन्दुस्तानियों के मन में देश के प्रति प्यार के लिए जागरूक किए। श्रोताओं में मौजूद हर वर्ग के लोग उनके द्वारा प्रस्तुत कव्वाली और शेरों-शायरी सुनकर झूम उठे और पूरा दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। जनाब अनीस साबरी द्वारा प्रस्तुत कव्वाली की हर पंक्ति दिलों को छू लेने वाली रही। गीतों की गहराई और उनके स्वर की ताक़त ने न सिर्फ सभी का मनोरंजन किया बल्कि श्रोताओं को सूफी परंपरा की आध्यात्मिक अनुभूति भी कराई। अनीस साबरी के कव्वाली प्रदर्शन ने चक्रधर समारोह की गरिमा को नई ऊंचाई दी। देर रात तक चली यह प्रस्तुति दर्शकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव साबित हुई।