दिवाली का त्योहार बस कुछ ही दिनों में है और बाजार में अब हर तरफ मिठाइयों और सजावट के साथ ड्राई फ्रूट्स की चमक दिखाई देने लगी है। हालांकि, इस साल दिवाली पर बादाम, पिस्ता, काजू और अखरोट की कीमतें पिछले साल की तुलना में बढ़ गई हैं। इसका मुख्य कारण अमेरिका की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी है, जिसने पूरी दुनिया के व्यापार गणित को तोड़ा का बिगाड़ दिया है। लेकिन, यह चिंता की बात नहीं है क्योंकि बाजार में इन सूखे मेवों का स्टॉक भरपूर है और खरीदारी के लिए पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में ड्राई फ्रूट्स की मांग अगस्त से दिसंबर के बीच सबसे ज्यादा रहती है। इस दौरान घरों में सजावट और त्योहारी तैयारियों के साथ-साथ कॉर्पोरेट गिफ्टिंग और शादियों की वजह से आयात भी बढ़ जाता है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर पारस जसराई का कहना है कि त्योहारी महीनों में सूखे मेवों की मांग अचानक बढ़ जाती है और इसलिए आयात में तेजी देखी जाती है।
आंकड़ों पर डाले एक नजर
आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं। 2024 में, अगस्त से दिसंबर के बीच भारत में बादाम का मासिक आयात औसतन $94.4 मिलियन (लगभग 785 करोड़ रुपये) रहा, जबकि पूरे साल का औसत $84.8 मिलियन (लगभग 705 करोड़ रुपये) था। काजू का आयात और भी तेज रहा। त्योहारी महीनों में इसका औसत आयात $173.9 मिलियन (लगभग 1445 करोड़ रुपये) रहा, जबकि पूरे साल का औसत $134.8 मिलियन (लगभग 1120 करोड़ रुपये) था। अखरोट और किशमिश के आयात में भी बढ़ोतरी देखी गई।
ड्राई फ्रूट्स का आयात
नट्स एंड ड्राई फ्रूट्स काउंसिल (इंडिया) की प्रेसिडेंट गुंजन जैन के अनुसार, 2025 में कच्चे काजू का आयात 1.1-1.2 मिलियन टन से बढ़कर 1.3-1.4 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है। ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ भारत के ट्रेड एग्रीमेंट्स ने भी बादाम और पिस्ता के आयात में मदद की है। ऑस्ट्रेलिया से बादाम का आयात अप्रैल-जुलाई 2025 में 93% तक बढ़ गया। हालांकि कीमतें महंगी हुई हैं, लेकिन बाजार में आपूर्ति पर्याप्त है और त्योहार के समय घरों और दुकानों की जरूरत पूरी करने में कोई समस्या नहीं होगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि महंगाई का असर ज्यादा लंबा नहीं रहेगा और खरीदार अभी भी आसानी से ड्राई फ्रूट्स खरीद सकते हैं।