भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर चल रही बातचीत अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच होने वाली इस डील के तहत अमेरिका भारतीय निर्यात पर लगने वाले टैक्स (टैरिफ) को मौजूदा 50% से घटाकर 15-16% तक ला सकता है। अगर यह समझौता होता है, तो भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए यह एक बड़ी राहत साबित होगी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंथा नागेश्वरन ने भी उम्मीद जताई है कि भारत-अमेरिका के बीच चल रहा टैक्स विवाद अगले दो महीनों में सुलझ सकता है। उन्होंने कहा कि भले ही मेरे पास कोई क्रिस्टल बॉल नहीं है, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि अगले कुछ महीनों में तो हम 25% एक्स्ट्रा पेनाल्टी टैरिफ का समाधान देखेंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका और भारत के बीच 25% पारस्परिक टैरिफ को घटाकर 10% से 15% के बीच लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर यह समझौता होता है, तो यह हमारे लिए जश्न का बड़ा मौका होगा।
क्या होगा डील का फॉर्मूला?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपनी रूसी तेल आयात पर निर्भरता को धीरे-धीरे कम करने पर सहमत हो सकता है। बदले में, अमेरिका ऊर्जा व्यापार में रियायतें देने को तैयार है। इसके अलावा, भारत अमेरिकी नॉन-जीएम मक्का और सोयामील के आयात की अनुमति बढ़ा सकता है। वर्तमान में भारत हर साल 0.5 मिलियन टन अमेरिकी मक्का आयात करता है, जिस पर 15% ड्यूटी लागू है। वहीं, अमेरिका चीन से मक्का के निर्यात में भारी गिरावट झेल रहा है. 2022 में जहां अमेरिका ने चीन को 5.2 अरब डॉलर का मक्का बेचा था, वहीं 2024 में यह घटकर सिर्फ 331 मिलियन डॉलर रह गया। ऐसे में भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए एक बड़ा बाजार बन सकता है।
रूस से कम होगा तेल आयात, अमेरिका से बढ़ेगा व्यापार
भारत वर्तमान में अपने कुल कच्चे तेल का 34% रूस से आयात करता है, जबकि 10% तेल और गैस की जरूरतें अमेरिका से पूरी होती हैं। आने वाले समझौते में भारत को सलाह दी जा सकती है कि वह अमेरिकी तेल आयात बढ़ाए और रूसी तेल पर निर्भरता घटाए। हालांकि अमेरिका ने अभी तक रूस जैसे डिस्काउंट रेट पर तेल देने की सहमति नहीं दी है। ब्लूमबर्ग़ की रिपोर्ट के अनुसार, अब रूस और अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क क्रूड के दामों में अंतर घटकर $2–2.5 प्रति बैरल रह गया है, जो पहले $23 तक था। इस वजह से अमेरिका और मध्य पूर्व का तेल भारत के लिए फिर से आकर्षक बन गया है।
भारत-अमेरिका व्यापार पर क्या होगा असर?
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा माल आयातक देश है और कुछ चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जिसके साथ भारत को ट्रेड सरप्लस मिलता है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को $86.51 अरब डॉलर का निर्यात किया। नागेश्वरन के अनुसार, भारत ने इस साल अपने निर्यात वॉल्यूम का 50% टारगेट पहले ही हासिल कर लिया है, लेकिन अगर टैरिफ ऐसे ही ऊंचे रहे तो अगले साल अमेरिकी बाजार में 30% तक गिरावट देखी जा सकती है। अगर यह डील साइन होती है, तो इसे एसियन शिखर सम्मेलन (ASEAN Summit) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के दौरान घोषित किया जा सकता है।