रोजी-रोटी की तलाश में अपना घर छोड़कर दूसरे शहरों में किराए पर रहने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. चाहे पढ़ाई हो या नौकरी, एक बड़ा वर्ग किराए के मकानों पर निर्भर है. इसी बढ़ती संख्या के साथ मकान मालिक और किराएदार के बीच के विवाद भी आम हो गए हैं. कभी डिपॉजिट वापस न मिलने की शिकायत, तो कभी बिना बताए घर खाली करने का फरमान.ये किस्से हर शहर की कहानी बन चुके हैं. लेकिन अब इन मनमानियों पर लगाम लगने वाली है. सरकार ने ‘न्यू रेंट एग्रीमेंट 2025’ के तहत नए नियम लागू किए हैं, जो मॉडल टेनेंसी एक्ट (MTA) और हालिया बजट प्रावधानों पर आधारित हैं.
1. रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन में देरी पर जुर्माना
अब तक कई लोग रेंट एग्रीमेंट तो बनवा लेते थे, लेकिन उसे रजिस्टर कराने में लापरवाही बरतते थे. नए नियमों ने इस ढिलाई को पूरी तरह खत्म कर दिया है. अब एग्रीमेंट साइन होने के दो महीने के भीतर उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि हर किराएदारी का एक कानूनी रिकॉर्ड मौजूद हो. आप यह रजिस्ट्रेशन राज्य की ऑनलाइन प्रॉपर्टी वेबसाइट पर या नजदीकी रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर आसानी से करवा सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे, अगर तय समय सीमा के भीतर एग्रीमेंट रजिस्टर नहीं हुआ, तो 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. यह नियम मकान मालिक और किराएदार दोनों को जवाबदेह बनाता है, ताकि भविष्य में किसी भी कानूनी पचड़े से बचा जा सके.
2. किरायेदार को बड़ी राहत
किराए पर रहने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी सिरदर्दी होती थी सिक्योरिटी डिपॉजिट और अचानक घर खाली करने का दबाव. नए नियमों ने यहां एक बड़ा ‘सुरक्षा कवच’ प्रदान किया है.
सिक्योरिटी डिपॉजिट की सीमा: अब रिहायशी (Residential) प्रॉपर्टी के लिए मकान मालिक अधिकतम दो महीने के किराए के बराबर ही एडवांस या सिक्योरिटी डिपॉजिट ले सकते हैं. वहीं, कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए यह सीमा छह महीने तक रखी गई है. इससे किराएदारों पर एकमुश्त भारी रकम जमा करने का बोझ कम होगा.
बेदखली के नियम: अब कोई भी मकान मालिक बिना उचित नोटिस दिए या प्रक्रिया का पालन किए किराएदार को घर से नहीं निकाल सकता.
किराया बढ़ोतरी: मकान मालिक अब अपनी मर्जी से जब चाहे किराया नहीं बढ़ा सकेंगे. किराए में बढ़ोतरी के लिए पहले से नोटिस देना अनिवार्य होगा और यह एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार ही होगा.
3. मकान मालिकों की बल्ले-बल्ले
ऐसा नहीं है कि ये नियम सिर्फ किराएदारों के पक्ष में हैं; मकान मालिकों के हितों का भी इसमें पूरा ध्यान रखा गया है. सरकार ने रेंटल हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई आकर्षक प्रावधान जोड़े हैं.
TDS में बड़ी राहत: मकान मालिकों के लिए सबसे अच्छी खबर टैक्स के मोर्चे पर है. TDS कटौती की सीमा जो पहले 2.4 लाख रुपये सालाना थी, उसे बढ़ाकर अब 6 लाख रुपये सालाना कर दिया गया है. इसका सीधा मतलब है कि अब ज्यादा कमाई पर भी TDS नहीं कटेगा, जिससे मकान मालिकों के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा.
विवादों का ‘फास्ट-ट्रैक’ निपटारा: अक्सर देखा गया है कि किराएदारी के विवाद अदालतों में सालों-साल खिंचते हैं. इसके समाधान के लिए अब स्पेशल ‘रेंट कोर्ट्स’ और ट्रिब्यूनल्स (Tribunals) बनाए गए हैं. यहाँ लक्ष्य रखा गया है कि किसी भी विवाद का निपटारा 60 दिनों के अंदर कर दिया जाए.
किराया न मिलने पर सुरक्षा: अगर कोई किराएदार तीन महीने या उससे ज्यादा समय तक किराया नहीं देता है, तो रेंट ट्रिब्यूनल के जरिए मकान मालिक को त्वरित न्याय मिलेगा और बेदखली की प्रक्रिया आसान होगी.














