आजकल कार्य-जीवन संतुलन एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है, और बैंक कर्मचारी भी इससे अछूते नहीं हैं। यूनियन लंबे समय से बैंकों के लिए 5-दिन के कार्य और सप्ताह की मांग कर रही है और अब उन्होंने यह मांग आधिकारिक रूप से सरकार के समक्ष प्रस्तुत की है। इस प्रस्ताव में हर शनिवार और रविवार को बैंक को छुट्टी घोषित करने की मांग की गई है। यदि यह लागू होता है, तो बैंकिंग क्षेत्र में केवल सोमवार से शुक्रवार तक कार्य दिवस रहेंगे। वर्तमान में, बैंकों में महीने में दो बार, यानी दूसरे और चौथे शनिवार को छुट्टी होती है, इसलिए बैंक कर्मचारी अभी भी महीने में केवल 5 दिन काम करते हैं।
इस प्रस्ताव में क्या उल्लेख किया गया
इस प्रस्ताव में यह उल्लेख किया गया है कि सप्ताह में पांच दिन काम करने वाले बैंक कर्मचारियों को अपने कार्य घंटों को समायोजित करने के लिए लगभग रोजाना 40 मिनट अधिक काम करना होगा। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (AIBOC) का कहना है कि इस बदलाव से कर्मचारियों की प्रेरणा में वृद्धि होगी, उत्पादकता में सुधार आएगा, और बैंकिंग क्षेत्र आधुनिक कार्यप्रणालियों के अनुरूप विकसित होगा।

सामने आयी देरी की वजह
इस मुद्दे को लेकर कोई महत्वपूर्ण कारण सामने नहीं आया है। प्रारंभ में ऐसा अनुमान लगाया गया था कि सरकार कर्मचारियों की कमी के चलते इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दे रही है, लेकिन सरकार ने इस तरह की बातों को खारिज कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि स्टाफ की कमी प्रपोजल में देरी का कारण नहीं है। जानकारी के अनुसार, पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) को अपनी आवश्यकताओं का प्रबंधन स्वयं करना होता है। बैंकों के यूनियन द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक PSBs में आवश्यक स्टाफ के 96% पद भरे जाने की संभावना है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्मचारियों की संख्या में बदलाव होने से पांच दिन के कार्य सप्ताह को मंजूरी देने में कोई रुकावट नहीं आएगी।

कब शुरू होगी नई व्यवस्था?
हाल ही में, 5 दिन के बैंकिंग हफ्ते की शुरुआत को लेकर कोई निश्चित समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। प्रपोजल अभी भी विचाराधीन है और इसे अंतिम मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) दोनों द्वारा स्वीकार किया जाना आवश्यक है। इस बीच, दूसरे और चौथे शनिवार को छुट्टी रखने की जो मौजूदा नीति है, वह जारी रहेगी। यदि इसे लागू करने का निर्णय लिया जाता है, तो यह अगले वित्तीय वर्ष में ही संभव होगा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार अप्रैल 2026 के बाद ही कोई निर्णय ले सकती है।













