यूपी में SIR यानी वोटर लिस्ट के SIR का काम पूरा हो गया। 2.89 करोड़ वोटर्स के नाम कट गए हैं। हालांकि, लिस्ट 31 दिसंबर को सार्वजनिक होगी। अगर इस आंकड़े को 403 विधानसभा सीटों से भाग दें तो हर विधानसभा सीट पर करीब 72 हजार वोट कम होने का अनुमान है।सबसे अधिक संख्या लखनऊ और गाजियाबाद की है. केवल लखनऊ में ही 30% नाम हटाए गए हैं, जिससे जिले में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है
माना जा रहा है कि भाजपा की तमाम कोशिशों के बाद भी SIR में वोटर्स की संख्या कुछ खास बढ़ नहीं पाई। वजह यह है कि 10 दिसंबर तक 2.91 करोड़ मतदाता कम थे। 15 दिन का समय बढ़ाया गया, लेकिन 2 लाख मतदाता ही बढ़ पाए।
सीएम ने 14 दिसंबर को भाजपा की मीटिंग में दो टूक कहा था- चार करोड़ मतदाताओं का बड़ा गैप है, यह मतदाता भाजपा का ही है। सीएम के कहने के बाद भी भाजपा की ओर से जमीनी प्रयास नहीं किया गया। ऐसे में अगर ये मतदाता भाजपा के हुए तो आगामी चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान होगा।
इधर, अखिलेश ने भाजपा पर निशाना साधा। कहा- मुख्यमंत्री कहते हैं कि 85-90% उनके अपने वोटर कटे हैं। 85% के हिसाब से हर विधानसभा सीट पर 61,000 वोट कम हुआ है। ऐसे में भाजपा हर सीट पर इतना वोट कम पाएगी। ऐसे में वो सरकार क्या बनाएगी, दहाई का अंक भी पार नहीं कर पाएगी। भाजपाई SIR ने अपने खोदे गड्ढे में भाजपा को ही गिरा दिया है।
9.37 लाख ने फॉर्म ही जमा नहीं किया सूत्रों के अनुसार, जिनके नाम कटे हैं, उनमें से 1.26 करोड़ वोटर्स ऐसे हैं, जो यूपी से बाहर परमानेंट शिफ्ट हो चुके हैं। 45.95 लाख वोटर्स की मौत हो चुकी है। 23.32 लाख डुप्लीकेट हैं। 84.20 लाख लापता हैं। 9.37 लाख ने फॉर्म जमा नहीं किया है।
यूपी में 15.44 करोड़ मतदाता यूपी में SIR से पहले 15.44 करोड़ वोटर्स थे। प्रदेश में SIR के पहले चरण में गणना पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 4 दिसंबर थी। पहले 7 दिन बढ़ाकर 11 जनवरी और फिर 15 दिन बढ़ाकर 26 दिसंबर किया गया। यूपी निर्वाचन आयोग ने SIR का टाइम बढ़ाने की मांग दिल्ली चुनाव आयोग से की थी, लेकिन उसने तीसरी बार SIR की अंतिम तिथि नहीं बढ़ाई।
SIR के बाद इनकी संख्या में दो से ढाई करोड़ कमी आने की संभावना थी। निर्वाचन आयोग ने बताया था कि 11 दिसंबर तक SIR के बाद जो आंकड़े आए थे, उसके मुताबिक 2.91 करोड़ नाम कम हो गए थे। 15 दिन बढ़ाने के बाद सिर्फ 2 लाख वोटर ही बढ़े हैं।














