छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को हिंदू धर्मगुरु कालीचरण महाराज को राज्य की राजधानी रायपुर में एक कार्यक्रम में महात्मा गांधी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए गिरफ्तार किए जाने के तीन महीने बाद जमानत दे दी। जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की पीठ ने 44 वर्षीय धार्मिक नेता को जमानत दे दी, उनके वकील किशोर भादुड़ी ने यह जानकारी दी।
हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, आवेदक को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए संबंधित ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए 50,000 रुपये की राशि के लिए दो सॉल्वेंट जमानत के साथ एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करने पर जमानत पर रिहा किया जाएगा। जमानत की सुनवाई के दौरान भादुड़ी ने अदालत में कहा कि उनका मुवक्किल निर्दोष है और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है।
उन्होंने कहा कि आईपीसी (देशद्रोह) की धारा 124ए के तहत अपराध प्रथम दृष्टया आवेदक के खिलाफ नहीं बनता है। राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनी ओटवानी ने जमानत याचिका का विरोध किया। आदेश की प्रति के अनुसार ओटवानी ने अदालत को बताया कि आरोपी के खिलाफ अपराध की प्रकृति को देखते हुए यह प्रार्थना की जाती है कि जमानत अर्जी खारिज की जाए।
रायपुर पुलिस ने पिछले साल 30 दिसंबर को मध्य प्रदेश के खजुराहो कस्बे से करीब 25 किलोमीटर दूर बागेश्वर धाम के पास किराए के कमरे से कालीचरण महाराज उर्फ अभिजीत धनंजय सराग को गिरफ्तार किया था। 26 दिसंबर को कालीचरण महाराज के खिलाफ रायपुर के टिकरापारा पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।