भारतमाला प्रोजेक्ट में भू-अधिग्रहण करने के नाम पर 62 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला करने वाले आरोपियों के खिलाफ ईओडब्लू ने साढ़े सात हजार पन्नों का चालान पेश किया है। ईओडब्लू ने स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया है। उनमें 2 सेवानिवृत तत्कालीन राजस्व विभाग के अधिकारियों समेत जमीन दलाल शामिल हैं। EOW के पेश हुए चालान मे जमीन दलाल हरमीत खनूजा, विजय कुमार जैन समेत उमा तिवारी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है।
भारतमाला परियोजना भू-अधिग्रहण घोटाला में ईओडब्लू ने 25 अप्रैल को 20 ठिकानों में छापे की कार्रवाई की थी छापे की कार्रवाई के बाद ईओडब्लू ने 10 लोगों को आरोपी बनाया था। ईओडब्लू ने जिन लोगों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया है उनमें हरमीत सिंह खनूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी, विजय जैन, कुंदन बघेल, भोजराज साहू, खेमराज कोसले, पुन्नूराम देशलहरे, गोपाल वर्मा, नरेंद्र नायक के नाम शामिल है।
Bharatmala project scam, रायपुर से विशाखापट्टनम तक करीब 463 किमी लंबी नई फोरलेन सड़क बनाई जा रही है। सड़क बनाने के चिन्हांकित जगह की जमीन कारोबारी, विभागीय अफसरों के साथ सांठ-गांठ कर जानकारी निकाली इसके बाद जमीन को टुकड़ों में बांटकर जमीन की फर्जी तरिके से रजिस्ट्री कराकर एनएचएआई को 78 करोड़ रुपए का भुगतान दिखाया गया। इसके लिए एसडीएम, पटवारी और भू-माफिया के सिंडिकेट ने बैक डेट पर दस्तावेज तैयार कर घोटाले को अंजाम दिया। घोटाला उजागर होने के बाद कोरबा डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे तथा उसके पूर्व जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को सस्पेंड किया गया।
एक परिवार के सदस्यों को 70 करोड़ रुपए की मुआवजा का भुगतान
159 खसरे में बांटकर जमीन 80 लोगों के नाम चढ़ाए गए राजस्व विभाग के रिकार्ड के अनुसार मुआवजा राशि 29.5 करोड़ रुपए के करीब होता है। जमीन दलालों ने राजस्व विभाग के अफसरों के साथ सांठ-गांठ कर अभनपुर स्थित कायाबांधा और उरला ग्राम में जमीन को छोटे टुकड़ों में काटकर 159 खसरे में बांट दिया। मुआवजा राशि हासिल करने जमीन फर्जी तरीके से 80 लोगों के नाम पर चढ़ाई गई। जमीन छोटे टुकड़े में बांटे जाने पर जमीन की कीमत 29.5 करोड़ से बढ़कर 78 करोड़ रुपए हो गई। एक ही परिवार के 14 लोगों के नाम जमीन भारतमाला परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण करने सर्वे होने के कुछ दिन पूर्व एक ही परिवार के 14 लोगों के नाम पर जमीन बांट दी गई। इसके बाद उस परिवार के सदस्यों को 70 करोड़ रुपए की मुआवजा का भुगतान कर दिया गया।
जांच अधिकारियों ने तत्कालीन अफसरों की इस कार्यप्रणाली का सीधा जिक्र अपनी जांच रिपोर्ट में किया है। जमीन अधिग्रहण के नाम पर घोटाला होने की आशंका को लेकर एनएचएआई के अधिकारियों ने भी आपत्ति जताई थी। आपत्ति के बाद जांच रिपोर्ट को सचिव राजस्व विभाग को भेजा गया और मुआवजा वितरण रोका गया था। घोटाले को लेकर ईओडब्लू ने कोर्ट में जो चालान पेश किया है, उनमें प्रमुख तीन आरोपियों की भूमिका के बारे में उल्लेख किया गया है।
उमा तिवारी तथा हरमीत खनूजा, विजय कुमार जैन की भूमिका अहम
घोटाला में शामिल उमा तिवारी तथा हरमीत खनूजा समेत विजय कुमार जैन की भूमिका अहम मानी जा रही है। उमा तिवारी के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भूमि का नामांतरण कर मुआवज़ा प्राप्त किया गया। उमा के माध्यम से फर्जी दस्तावेजों द्वारा नामांतरण कर मुआवज़ा प्राप्त किए जाने से शासन को लगभग 2 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों ने जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा एवं उसके सहयोगियों के साथ मिलकर किसानों को अधिक मुआवजा दिलवाने का प्रलोभन दिया।
किसानों के नाम से बैक डेट में फर्जी बंटवारे एवं नामांतरण तैयार कराए
इन दलालों ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर किसानों के नाम से बैक डेट में फर्जी बंटवारे एवं नामांतरण तैयार कराए, किसानों से कोरे चेक एवं आरटीजीएस दस्तावेजों पर साइन करवाए और प्राप्त मुआवज़े की राशि का बड़ा भाग अपने तथा अपनी सहयोगी फर्मों के खातों में ट्रांसफर करवा लिया। नरेंद्र नायक, गोपाल वर्मा – जल संसाधन विभाग के तत्कालीन अधिकारी नरेंद्र वर्मा, गोपाल वर्मा ने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर मिलकर डूबान क्षेत्र से जुड़े पूर्व अधिग्रहण अभिलेखों को दबाया तथा मिथ्या प्रतिवेदन तैयार किए। प्रभावित किसानों को उनके वैध हक से वंचित किया गया।
अधिग्रहण से संबंधित अभिलेखों में हेराफेरी
इसके अतिरिक्त अन्य संबंधित राजस्व एवं तकनीकी अधिकारीगण द्वारा भी अधिग्रहण से संबंधित अभिलेखों में हेराफेरी तथा वास्तविक स्थिति छिपाने जैसी अनियमितताएं की गईं। घोेटाला में आरोपी बनाए गए अभनपुर के तत्कालीन राजस्व अधिकारी निर्भय साहू, हल्का पटवारी दिनेश पटेल, राजस्व निरीक्षक रोशन लाल वर्मा, तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, पटवारी जितेंद्र साहू, बसंती घृतलहरे, लेखराम देवांगन, तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण समेत कई लोग फरार है या न्यायालय से राहत मिलने के बाद विवेचना में सहयोग नहीं कर रहे हैं। जिसकी वजह से इन अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश नहीं हो सका। लेकिन इन सब के खिलाफ अलग से जांच चलने और अलग से चालान पेश करने की बात EOW कर रहा है। फिलहाल भारतमाला घोटाले मामले में आगे जांच की जा रही है।