छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है. दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी यानी DKSZC क्षेत्र के 28 नक्सलियों ने सोमवार को आत्मसमर्पण किया. समर्पण करने वाले सभी कैडर अबूझमाड़ के अंदरूनी इलाकों में सक्रिय थे. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में लगातार सर्च ऑपरेशन बढ़ाए गए थे. जवानों की गश्त और दबाव के कारण कई नक्सली सुरक्षित ठिकानों से बाहर निकलने को मजबूर हुए. अधिकारियों का कहना है कि सरकार की ‘पूना मारगेम’ पुनर्वास नीति ने भी नक्सलियों को मुख्यधारा में आने के लिए प्रेरित किया है.
सूत्रों के मुताबिक, आत्मसमर्पण करने वाले कैडर लंबे समय से संगठन की गतिविधियों से निराश थे. कई नक्सलियों ने दबी आवाज में बताया कि संगठन में बढ़ती अव्यवस्था और दबाव के कारण वे संघर्ष जारी नहीं रखना चाहते थे. सुरक्षाबलों द्वारा लगाए गए दबाव ने उन्हें सुरक्षित विकल्प चुनने पर मजबूर किया. नारायणपुर पुलिस ने बताया कि इन 28 नक्सलियों में कई माओवादी मिलिशिया सदस्य भी शामिल हैं. इनमें से कुछ पर कई घटनाओं में शामिल होने के शक के आधार पर निगरानी रखी जा रही थी. आत्मसमर्पण के बाद सभी की प्रोफाइलिंग की जा रही है
नक्सलवाद को 31 मार्च 2026 तक खत्म करने का लक्ष्य
सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि अबूझमाड़ क्षेत्र में नक्सलवाद को 31 मार्च 2026 तक निर्णायक रूप से समाप्त किया जाएगा. इस लक्ष्य की दिशा में यह समर्पण एक बड़ा कदम माना जा रहा है. पुलिस का दावा है कि संगठन की लोकल सप्लाई यूनिट और मिलिशिया नेटवर्क कमजोर हो रहा है. अधिकारियों का कहना है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को शासन की पुनर्वास नीति का लाभ दिया जाएगा. उन्हें सुरक्षित ठिकाने, आर्थिक सहायता और पुनर्वास कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा. इसमें कौशल विकास और रोजगार आधारित प्रशिक्षण भी शामिल है.
28 नक्सलियों के सरेंडर से सुरक्षा तंत्र का मनोबल बढ़ा
पुलिस ने बताया कि इस सरेंडर के बाद इलाके में सुरक्षा तंत्र का मनोबल बढ़ा है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी विश्वास बढ़ा है. प्रशासन का कहना है कि अबूझमाड़ के कई गांव नक्सल प्रभाव से तेजी से बाहर आ रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आने वाले महीनों में और बड़े सरेंडर हो सकते हैं. कई कैडर गुप्त रूप से पुलिस संपर्क में हैं.















