मौसम विभाग के मुताबिक छत्तीसगढ़ में आज से ठंड बढ़ने की संभावना है। अनुमान है कि 2 से 3 डिग्री तक पारा गिर सकता है और उत्तरी छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में शीतलहर का अलर्ट भी जारी किया गया है।
इसी बीच स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि अचानक तापमान में उतार-चढ़ाव से हाइपोथर्मिया, सर्दी-जुकाम और वायरल फीवर का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए शीतलहर के दौरान अनावश्यक बाहर न निकलें, बेहद जरूरी हो तभी यात्रा करें और पूरी तरह गर्म कपड़ों का उपयोग करें।
इस बदलते मौसम के बीच मैदानी इलाकों की स्थिति पर नजर डालें तो दुर्ग सबसे ठंडा रहा, हालांकि पिछले कुछ दिनों में यहां तापमान में बढ़ोतरी देखी गई है। न्यूनतम तापमान तीन दिनों में 10°C से बढ़कर 15.2°C तक पहुंच गया। वहीं रायपुर में भी न्यूनतम तापमान 13°C से बढ़कर करीब 16.8°C दर्ज किया गया।
पिछले 24 घंटों में राज्य का सबसे अधिक अधिकतम तापमान 31.7°C दंतेवाड़ा में और सबसे कम न्यूनतम तापमान 8.5°C अंबिकापुर में रिकॉर्ड हुआ। खास बात यह है कि पांच दिन पहले अंबिकापुर का तापमान 6°C तक पहुंच गया था, जो पिछले दस वर्षों में नवंबर में पहली बार दर्ज किया गया इतना कम स्तर है।
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति को अत्यधिक कंपकंपी, उंगलियों में पीलापन या सफेदपन, सुन्नता या रक्त संचार रुकने जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें। बच्चों और बुजुर्गों को (Health Department Advisory) इस मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत होती है, क्योंकि वे ठंड से जल्दी प्रभावित होते हैं।
अधिकारियों ने आगाह किया कि कई लोग ठंड से बचने के लिए बंद कमरे में कोयला जलाकर आग तापते हैं, जबकि यह तरीका बेहद खतरनाक है। कोयले से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस जहरीली होती है और कई मामलों में जानलेवा साबित हुई है। इसलिए खुले स्थान पर ही आग तापने की सलाह दी गई है।
हाइपोथर्मिया के मामलों में शरीर का तापमान तेजी से गिरता है। ऐसे में व्यक्ति को तुरंत गर्म जगह पर लेटाएं, कंबल ओढ़ाएं और गर्म कपड़ों से ढंककर शरीर का तापमान सामान्य करने की कोशिश करें। हाइपोथर्मिया के प्रमुख लक्षणों में लगातार कंपकंपी, धीमी सांसें, बोलने में कठिनाई, मांसपेशियों में जकड़न, भ्रम की स्थिति और अत्यधिक कमजोरी शामिल हैं। गंभीर अवस्था में व्यक्ति अचेत भी हो सकता है, जिसमें तुरंत चिकित्सा मदद जरूरी है















