भारतीय रेलवे को देश की लाइफलाइन कहा जाता है। यह एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल नेटवर् है। इंडियन रेलवे की ओर से रोजाना औसतन 20,000 से ज्यादा ट्रेनें चलाई जाती हैं। 2.30 करोड़ से ज्यादा यात्रियों को ट्रेनें गंतव्य तक पहुंचा रही हैं। यह संख्या ऑस्ट्रेलिया जैसे पूरे देश की जनसंख्या के बराबर है। इसबीच रेलवे की ओर से डिजिटल को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। ट्रेन में सफर के दौरान ऑनलाइन टिकट भी मान्य है। वहीं कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि मोबाइल पर टिकट दिखाने भर से काम नहीं चलेगा। अब यात्रियों को टिकट की छपी हुई कॉपी भी अपने पास रखनी होगी।
इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा जा रहा है कि रेलवे ने डिजिटल टिकट के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह कदम उठाया है। अब रेलवे की ओर से ही आधिकारिक रूप से ऐसी रिपोर्ट का खंडन किया है। रेलवे ने साफतौर पर कहा है कि मोबाइल में टिकट मान्य रहेंगे। यात्रियों को अलग से प्रिंट लेने की जरूरत नहीं है। रेलवे का कहना है कि UTS, ATVM या काउंटर से लिए गए अनरिजर्व्ड यानी अनारक्षित टिकट की प्रिंटेड कॉपी यात्रियों को अपने पास नहीं रखनी होगी। सिर्फ मोबाइल स्क्रीन पर टिकट दिखाने से भी काम चल जाएगा।
टिकट को लेकर हुआ था फ्रॉड
हाल ही में जयपुर रूट पर फर्जी रेलवे टिकट का अनोखा मामला सामने आया है। कुछ छात्र ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। सभी टिकटों में यात्रियों के नाम अलग-अलग थे। रेलवे चेकिंग स्टाफ भी धोखा खा गया। ये टिकट देखने में पूरी तरह असली लग रहे थे। QR कोड, जर्नी डिटेल और किराया सब कुछ सही था लेकिन जब टीसी ने टिकट की गहराई से जांच की तो पता चला कि छात्रों ने AI टूल की मदद से एक ही अनारक्षित टिकट को एडिट किया। फिर उसमें सात यात्रियों के नाम दिखा दिए। यानी एक टिकट पर सात लोग यात्रा कर रहे थे। मामला सामने आने के बाद अधिकारियों के होश उड़ गए थे।
AI से रेलवे की बढ़ी टेंशन
AI के बढ़ते दुरुपयोग से रेलवे की टेंशन बढ़ गई है। एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से फर्जी टिकट को बनाना, उसे मॉडिफाइ करना और नए मोबाइल टिकट बनाना आसान हो गया है। यहां तक कि QR कोड को भी डिजाइन करना आसान हो गया है। ऐसे में टिकट असली है या नकली, इसका पहचान करना टीटीई के लिए मुश्किल हो गया है। हालांकि रेलवे की ओर से अनारक्षित टिकट की प्रिंटेड कॉपी को साथ में रखना अनिवार्य नहीं किया गया है।














