जिंदल परियोजना को लेकर प्रस्तावित विवादित जनसुनवाई अब निरस्त होने की दिशा में बढ़ती नजर आ रही है। घरघोड़ा एसडीएम ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल से पहले चरण की चर्चा पूरी हो चुकी है, जिसके बाद प्रशासन ने जनसुनवाई को लेकर निरस्तीकरण की प्रक्रिया पर गंभीरता से कदम बढ़ा दिए हैं।

एसडीएम के इस बयान के बाद तमनार-घरघोड़ा क्षेत्र में पिछले कई दिनों से चल रहे आंदोलन को बड़ी प्रशासनिक और नैतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह आंदोलन छत्तीसगढ़ में चल रहे लंबे जनआंदोलनों की कड़ी है, जहां जनभावनाओं और पर्यावरणीय सरोकारों को लेकर जनता एकजुट होकर सामने आई है।
14 गांवों की एकजुटता, आंदोलन ने बदली दिशा
बीते कई दिनों से 14 गांवों के ग्रामीण एकजुट होकर जनसुनवाई के विरोध में मोर्चा संभाले हुए हैं। लिबरा सीएचपी मार्ग से लेकर प्रशासनिक केंद्रों तक विरोध प्रदर्शन हुए। ग्रामीणों ने साफ कहा कि बिना विश्वास में लिए और स्थानीय समस्याओं का समाधान किए किसी भी कीमत पर जनसुनवाई नहीं होने दी जाएगी।
छत्तीसगढ़ के लंबे आंदोलनों से जुड़ी कड़ी
यह आंदोलन छत्तीसगढ़ में पहले से चल रहे जल-जंगल-जमीन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े आंदोलनों की तर्ज पर आगे बढ़ा। ग्रामीणों ने शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त तरीके से अपनी बात रखी, जिसका असर अब प्रशासनिक निर्णयों पर साफ दिखाई देने लगा है।
प्रशासन का बदला रुख, आगे और बातचीत संभव
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में ग्रामीण प्रतिनिधियों से आगे के दौर की बातचीत भी हो सकती है। फिलहाल मिले सकारात्मक संकेतों से आंदोलनकारियों में उत्साह है

ग्रामीणों की चेतावनी
ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक लिखित और ठोस निर्णय सामने नहीं आता, आंदोलन पूरी तरह समाप्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, प्रशासन के बदले रुख से माहौल सकारात्मक जरूर हुआ है।














