भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को कहा कि वह वित्तीय उत्पादों एवं सेवाओं की गलत बिक्री रोकने के लिए वित्तीय संस्थानों पर लागू होने वाले विज्ञापन, विपणन और बिक्री से संबंधित व्यापक नियम जारी करेगा।
केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी ‘भारत में बैंकिंग के रुझान और प्रगति 2024-25 रिपोर्ट’ में यह बात कही गयी है। रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई ने कहा कि गलत वित्तीय उत्पादों की बिक्री के मामले ग्राहकों और पूरे वित्तीय क्षेत्र दोनों के लिए गंभीर परिणाम होते हैं। आरबीआई ने यह भी कहा कि वह ऋण की वसूली करने वाले एजेंटों और वसूली से जुड़े संचालन संबंधी मौजूदा निर्देशों की समीक्षा कर रहा है और उन्हें एकीकृत रूप में जारी करने का प्रस्ताव है।
डिजिटल एवं साइबर धोखाधड़ी से निपटने की तैयारी
डिजिटल एवं साइबर धोखाधड़ी के मामलों से निपटने के लिए रिजर्व बैंक संबंधित मंत्रालयों और अन्य हितधारकों के साथ काम कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, विनियमित संस्थाओं को मजबूत आंतरिक नियंत्रण, सभी स्तरों पर शिकायत निवारण अधिकारी तैनात होने और डिजिटल वित्तीय साक्षरता बढ़ाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। रिजर्व बैंक ने हाल में दो प्रमुख डिजिटल पहल शुरू की हैं। संभावित फर्जी खातों की पहचान और प्रणालीगत सीख के लिए म्यूलहंटर.एआई को 23 बैंकों में लागू किया गया है।
जोखिमपूर्ण लेनदेन पर नजर
इसके अलावा एआई-आधारित मंच ‘डिजिटल भुगतान आसूचना मंच (डीपीआईपी)’ भी काम कर रहा है जो जोखिमपूर्ण लेनदेन को चिन्हित कर फर्जीवाड़े की रोकथाम में मदद करता है।आरबीआई ने यह भी कहा कि अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहक की सीमित जिम्मेदारी संबंधी 2017 के निर्देशों की समीक्षा की जा रही है। यह कदम नए भुगतान चैनलों, डिजिटल लेनदेन की बढ़ती मात्रा और बदलते धोखाधड़ी प्रतिरूप को ध्यान में रखते हुए ग्राहक सुरक्षा को मजबूत करेगा।
क्या हैं वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़े
रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़े भी साझा किए गए हैं। इसके मुताबिक, रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ी मामलों की कुल संख्या घट गई, लेकिन इसमें शामिल राशि बढ़ गई।आरबीआई ने कहा कि इसका मुख्य कारण 122 मामलों की दोबारा जांच होनी थी जिनमें कुल 18,336 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी शामिल थी। उच्चतम न्यायालय के मार्च 2023 के निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित किया गया।
विवरण के मुताबिक, कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी की घटनाएं कुल मामलों का 66.8 प्रतिशत रहीं, जबकि राशि के हिसाब से ऋण से जुड़ी धोखाधड़ी 33.1 प्रतिशत रही।निजी क्षेत्र के बैंकों की कुल मामलों में 59.3 प्रतिशत हिस्सेदारी रही जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने धोखाधड़ी राशि में 70.7 प्रतिशत योगदान दिया।आरबीआई ने कहा कि इसकी नियामकीय एवं पर्यवेक्षण नीतियां आगे भी साइबर सुरक्षा, धोखाधड़ी रोकथाम, ग्राहक सुरक्षा, जलवायु जोखिम जागरूकता और वित्तीय स्थिरता पर केंद्रित रहेंगी














