रायगढ़, 24 अक्टूबर — NTPC लारा की फ्लाई-ऐश परिवहन व्यवस्था एक बार फिर विवादों में है। कुछ महीनों की सख्ती के बाद पुराने तरीके फिर लौट आए हैं फर्क सिर्फ इतना है कि अब नए चेहरे और लोकल सिंडीकेट इस खेल को चला रहे हैं। सूत्रों बताते हैं कि ट्रकों से JPS निकालकर उन्हें दूसरी जगहों पर फ्लाई-ऐश खाली करवा लाया जा रहा है, जबकि डिलीवरी रिपोर्ट फर्जी बनाकर सब वैध दिखाया जाता है।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, कई ट्रक दिन में एक से अधिक बार लोड-अनलोड कर रहे हैं और कुछ वाहन एनएच पर पहुँचने के बजाय पास के खेतों या खलिहानों में ही एश खाली कर देते हैं। मामले की पड़ताल कर रहे पर्यावरण अधिकारियों ने भी पहले ऐसे आरोपों पर कार्रवाई की है।
नया सिंडीकेट — पुराना खेल
बड़े ठेकेदारों के होने के बावजूद फील्ड में अब स्थानीय ट्रांसपोर्टरों का एक संगठित नेटवर्क सक्रिय है। यह सिंडीकेट प्रति टन कमीशन के आधार पर काम चला रहा है और Plant से निकली गाड़ियों की मूवमेंट को नियंत्रित कर रहा है बताया जाता है कि नकली डिलीवरी रिपोर्ट से पूरा कारोबार वैध दिखाया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि कुछ मामलों में ठेकेदारों पर भी दबाव बनाकर काम कराया जा रहा है।
स्थानीय सामाजिक संगठन ने इसकी कड़ी निंदा कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने तत्काल कदम नहीं उठाया तो यह ‘फ्लाइ-ऐश माफिया’ न सिर्फ NTPC की साख को ठेस पहुंचाएगा बल्कि क्षेत्र के पर्यावरण व कृषिभूमि को भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है। स्थानीय प्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग से सख्त जांच व रोक-थाम की मांग की है।
पहले भी हुई कार्रवाई
कुछ महीनों पहले CECB ने NTPC (Lara) तथा कुछ निजी कंपनियों पर फ्लाई-ऐश परिवहन व अवैध डंपिंग के आरोपों में ….शुल्क (environmental compensation) लगाया था; उस समय कुछ वाहनों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई थी। फिर भी अब वही सिस्टम दुबारा सक्रिय होने के संकेत मिल रहे हैं।
क्या नियम मंत्री के नाम के आगे ठहर रहे हैं?
स्थानीय वार्ताकारों और सक्रिय नागरिकों ने सवाल उठाया है क्या मंत्री ओ.पी. चौधरी के बनाए नियम खुलेआम उल्लंघन किए जा रहे हैं? यह आरोप फिलहाल अनिर्धारित स्रोतों के हवाले से है और स्थानीय लोगों का कहना है कि नियमों की अनुपालना सुनिश्चित करने में शासन-प्रशासन को सख्ती दिखानी होगी। हम इस दावे की पुष्टि के लिए संबंधित सरकारी और राजनीतिक पक्ष से जवाब लेने का प्रयास कर रहे हैं।












