म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए बड़ी खबर है। अब कोई भी म्यूचुअल फंड हाउस प्री-IPO शेयर प्लेसमेंट में पैसा नहीं लगा पाएगा। स्टॉक मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने हाल ही में यह ताजा आदेश जारी किया है। रेगुलेटर ने इस बाबत म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की छतरी संस्था AMFI को भी लिखित में जानकारी दी। SEBI का यह कदम रिटेल इन्वेस्टर्स के हितों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है।
क्या है प्री-IPO
प्री-IPO प्लेसमेंट वह प्रक्रिया है, जिसमें कोई कंपनी अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) SEBI के पास फाइल करने से पहले ही म्यूचुअल फंड्स या अन्य निवेशकों से पैसा जुटाती है। अब SEBI ने स्पष्ट कर दिया है कि म्यूचुअल फंड्स सिर्फ एंकर इन्वेस्टर्स के हिस्से या पब्लिक इश्यू में ही हिस्सा ले सकती हैं। इसका मतलब है कि प्री-IPO में निवेश का रास्ता म्यूचुअल फंड्स के लिए पूरी तरह बंद हो गया।
सूत्रों के मुताबिक, SEBI को चिंता थी कि अगर कोई कंपनी प्री-IPO के बाद आईपीओ नहीं ला पाती, तो रिटेल निवेशकों का पैसा अनलिस्टेड शेयरों में फंस सकता है। SEBI का मानना है कि जब एंकर बुक का ऑप्शन पहले से मौजूद है, तो अनलिस्टेड शेयरों में पैसा लगाने की जरूरत नहीं है। फंड मैनेजर्स के लिए प्री-IPO निवेश हमेशा अट्रैक्टिव रहा है। इससे उन्हें बेहतर कीमत और ज्यादा हिस्सेदारी मिलती थी, जिससे लिस्टिंग पर निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलते थे। पिछले कुछ सालों में यह ट्रेंड और बढ़ा था, क्योंकि एंकर बुक में हिस्सेदारी कम मिल रही थी
इस फैसले का क्या होगा असर
के इस फैसले का एक और असर यह होगा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs), घरेलू फैमिली ऑफिसेज और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIFs) अब म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले प्री-IPO निवेश में बढ़त हासिल करेंगे। इसके अलावा, SEBI ने अनलिस्टेड शेयरों की ट्रेडिंग के लिए एक रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म का आइडिया भी सुझाया है, जिससे भविष्य में निवेशकों के लिए सुरक्षित और पारदर्शी मार्केट बने।













