केंद्रीय कर्मचारियों के लिए सरकार ने पेंशन और फैमिली पेंशन को लेकर नया आदेश जारी किया है। अब किसी कर्मचारी की पेंशन उसके “आखिरी नौकरी वाले दिन” के नियमों के हिसाब से तय की जाएगी। यानी जिस दिन वह सेवानिवृत्त, नौकरी छोड़ने या मृत्यु के कारण सेवा समाप्त करेगा, उसी दिन के नियम लागू होंगे। पहले यह स्पष्ट नहीं था कि पेंशन की गणना किस तारीख के नियमों के तहत की जाए, जिससे कई बार उलझनें पैदा होती थीं। अब सरकार के नए सर्कुलर से यह भ्रम खत्म हो गया है। इस बदलाव से पेंशन तय करने में होने वाली गलतियों पर भी रोक लगेगी।
छुट्टी या निलंबन पर भी मिलेगी पेंशन की निरंतरता
नए नियम के अनुसार, रिटायरमेंट या मृत्यु का दिन छुट्टी या सस्पेंशन की अवधि का हिस्सा ही माना जाएगा। यानी पेंशन की गणना में इस अवधि को भी सेवा का हिस्सा माना जाएगा। इससे कर्मचारियों को राहत मिलेगी और पेंशन में किसी प्रकार का ब्रेक या रुकावट नहीं आएगी। अक्सर कर्मचारी रिटायरमेंट से पहले छुट्टी पर रहते हैं या किसी कारण से निलंबित कर दिए जाते हैं। ऐसे मामलों में यह सवाल उठता था कि क्या यह अवधि सेवा में मानी जाएगी या नहीं।
माता-पिता के लिए फैमिली पेंशन में बदलाव
सरकार ने मृतक कर्मचारियों के माता-पिता के लिए भी फैमिली पेंशन के नियमों में सुधार किया है। पहले जीवनसाथी या बच्चों के न होने पर माता-पिता को पेंशन दी जाती थी, लेकिन अब उन्हें हर साल अलग-अलग “जीवन प्रमाण पत्र” देना होगा। इस नियम का उद्देश्य रिकॉर्ड को अपडेट रखना और गलती से अतिरिक्त भुगतान से बचना है। यानी अगर माता या पिता में से किसी का निधन हो जाए, तो सिस्टम में तुरंत अपडेट हो सके।
नया नियम क्यों है जरूरी
पेंशन विभाग के अनुसार, इस नियम से पारदर्शिता बढ़ेगी और पेंशन की प्रक्रिया सरल बनेगी। कई मामलों में छुट्टी या निलंबन के दौरान पेंशन गणना में विवाद होता था, जिसे अब खत्म कर दिया गया है। यह फैसला न केवल कर्मचारियों बल्कि उनके परिवारों के लिए भी राहत लेकर आया है। यह बदलाव खासतौर पर उन कर्मचारियों और परिवारों के लिए लाभकारी होगा, जो सेवा के अंतिम दिनों में बीमारी, छुट्टी या निलंबन जैसी स्थितियों में रहते हैं। अब उनके पेंशन हक पर कोई असर नहीं पड़ेगा और गणना “आखिरी कार्य दिवस” के नियम से तय होगी।













