हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में हर साल बड़ी बढ़ोतरी से राहत मिल सकती है। इसके लिए सरकार कई प्रस्ताव लेकर आई है। इसमें एजेंट कमीशन 20% तक सीमित करना और अस्पतालों में इलाज के पैकेज रेट पर अंकुश लगाना शामिल है। फिलहाल ये प्रस्ताव बीमा नियामक IRDAI को भेजे गए हैं, जिन पर फैसला होना बाकी है
वित्त मंत्रालय ने बीमा कंपनियों के CEO, बड़े अस्पतालों के मालिकों और IRDAI के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसमें वित्त मंत्रालय की तरफ से हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में हर साल मनमानी बढ़ोतरी पर नाराजगी जताई गई।
कहा गया कि भारत में मेडिकल इन्फ्लेशन (महंगाई) 11.5% तक पहुंच रही है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। यह सही नहीं है, इससे निजात के लिए सरकार कुछ कदम उठाने जा रही है।
तीन तरीकों से मेडिकल महंगाई कम करेगी केंद्र सरकार
1. सीमित प्रीमियम वृद्धि: प्रीमियम में सालाना बढ़ोतरी पर सीमा लगाई जाएगी। यानी बीमा कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में हर साल मनमाना बढ़ोतरी नहीं कर पाएंगी।
2. कम एजेंट कमीशन: नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर एजेंट कमीशन अधिकतम 20% होना चाहिए। सालाना रिन्यूअल पर भी ये कमीशन 10% से ऊपर नहीं होना चाहिए।
3. ज्यादा पारदर्शिता: हर क्लेम, हर अस्पताल बिल और हर डिस्चार्ज समरी पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। बीमा कंपनियां और अस्पताल मिलकर मनमाना ‘पैकेज रेट’ तय नहीं कर पाएंगे।
नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज लाएगी केंद्र सरकार
अस्पतालों ने सरकारी प्रस्ताव के विरोध में कहा कि उनका मार्जिन पहले से कम है। बीमा कंपनियां प्रीमियम तो बढ़ाती हैं, पर क्लेम देने में कंजूसी करती हैं। इस पर वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इसलिए तो नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज लाया जा रहा है, जहां सब डिजिटल होगा।












