Raigarh news: काले कोट के बिना नहीं चलती है वकीलों की जिंदगी – प्रशांत मिश्रा

 

*रायगढ़ के माटी सपूत और हाईकोर्ट के जस्टिस का अधिवक्ता संघ ने समारोह कर किया अभिनंदन*

 

रायगढ़, 10 जून। कला और संस्कार धानी नगरी के माटी सपूत एवं जस्टिस प्रशांत मिश्रा का जिला अधिवक्ता संघ ने अभिनंदन समारोह कर उनका मान बढ़ाया। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिपति श्री मिश्रा ने रायगढ़ जिले में अपने वकालत के दिनों को याद कर बड़े भावुक लहजे में कहा कि काले कोट के बिना वकीलों की जिंदगी नहीं चलती है।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होने वाले प्रशांत मिश्रा ने जिला अधिवक्ता संघ द्वारा कोर्ट परिसर में शनिवार रात आयोजित अभिनंदन समारोह में खुद को गौरवान्वित मानते हुए कहा कि अपनों के बीच आकर जो अपनत्व बढ़ता है, वह पद और प्रतिष्ठा से ऊपर प्रेम की उस ऊंचाई से अलग है, जो मेरे लिए भावुक क्षण है। यह अभिनंदन समारोह नहीं, बल्कि प्यार बटोरने का समारोह है जिसने मुझे रायगढ़ की उन गलियों की याद दिला दी, जहां से मैंने विधि की शुरुआत की थी।

कानून की बारीकियों के जानकार श्री मिश्रा ने जिला न्यायालय के भवन को निहारते हुए कहा कि इसी कोर्ट में मैंने वकालत की शरुआत की थी। पहले रोज अधिवक्ता पिता बंशीधर मिश्रा के साथ स्कूटर में बैठकर कोर्ट आया तो पता चला कि एक गांव के पक्षकार को सिविल मुकदमा दायर करना था। पिता बीडी मिश्रा ने पक्षकार के टाइटल की सोर्स की जांच का आदेश देने पर कलेक्ट्रेट के नजूल शाखा भेजा। पुराने खसरों की जांचकर टाइटल खोजने के बदले सितंबर 1987 में पहली कमाई के तौर पर पक्षकार से मिले 10 रुपए को मां भुवनेश्वरी के चरणों मे अर्पित करने के प्रसंग को यादकर उन्होंने बताया कि यहां 2 साल वकालत भी किया।

श्री मिश्रा ने अपने पूर्वजों के साथ पिता बीडी मिश्रा और माता श्रीमती नलिनी देवी के आशीर्वाद को अपनी कामयाबी का श्रेय देते हुए कहा कि इतिहास को अपने लिए नहीं, बल्कि अपनों के लिए भी याद करनी पड़ती है। उन्होंने जिले में अपने वकालत को यादकर अनुभव भी साझा किया। उन्होंने कहा कि रायगढ़ बार एसोसिएशन की पुरानी परिपाटी थी नए वर्ष में पिकनिक जाने की। बार एसोसिएशन अतुलनीय जगह है और इसका अद्भुत आनंद है। बार एसोसिएशन के हॉल में वकीलों से चर्चा हमें काफी कुछ सीखा जाती है, इसलिए युवा अधिवक्ता इसे जरूर सीखे।

उन्होंने साधे हुए अंदाज में आगे कहा कि कोर्ट मैनेजमेंट की तरह बार मैनेजमेंट की भी अहमियत है। न्याय दान की प्रक्रिया में पक्षकार को बगैर दुखी किए बढ़ाना भी एक ऐसी कला है, जिसमें हर जज को महारत हासिल होना चाहिए। बार और ब्रेंच की बीच के खमियाजे से वकीलों को कम और पक्षकारों को अधिक प्रभावित होना पड़ता है। उन्होंने रायगढ़ बार एसोसिएशन की तारीफ करते हुए यह भी कहा कि जहां तक मुझे लगता है, यहां किसी भी काले कोटधारी ने किसी भी न्यायाधीश को परेशानी में नहीं डाला, जो अच्छी बात है। उन्होंने रायगढ़ की माटी को समारोह में नमन करते हुए कहा कि यहां से उनको कल्पना से ऊपर मिला। रायगढ़ के लोगों ने हमेशा मुझे पलकों पर बैठाकर एक बेटे की तरह प्यार और स्नेह की जो डोरी दे बांध रखा है, उससे अलग होना नामुमकिन है।

अपने उदबोधन के पहले मंचासीन जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने जिला और सत्र न्यायाधीश रजनीश श्रीवास्तव, अधिवक्ता संघ के संरक्षक जुगल किशोर पटेल तथा बार एसोसिएशन अध्यक्ष रमेश शर्मा के साथ वीणा वादिनी मां सरस्वती की छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। संगीत गुरुकुल के कला साधकों ने सरस्वती वंदना पेश कर समां बांधा। महिला अधिवक्ताओं ने गरिमामय माहौल में अतिथियों का तिलक लगाकर अभिनंदन किया। अध्यक्षीय उदबोधन जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रमेश शर्मा तथा वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष नंदे ने स्वागत भाषण देते हुए न्यायाधिपति प्रशांत मिश्रा का मान बढ़ाया। डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस श्री मिश्रा को छत्तीसगढ़ महतारी का स्मृति चिन्ह भेंट किया। मंच संचालन अधिवक्ता संघ के सचिव शरद पांडेय ने किया। जिलेभर के बड़ी तादाद में अधिवक्ता इस समारोह के साक्षी बनें।

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