SANKASHTI CHATURTHI 2022 : नई दिल्ली: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी होती है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 21 मार्च दिन सोमवार को है. इस दिन व्रत किया जाता और गणेश जी की पूजा करते हैं. साथ ही चंद्रमा के दर्शन करके उन्हें जल अर्पित किया जाता है. ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत बिना चंद्रमा को जल अर्पित किए पूर्ण नहीं होता है.
चतुर्थी का व्रत करने से दूर होती हैं सारी बाधाएं
गौरी पुत्र गणेश को प्रथमपूज्य माना गया है. हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता भी कहा जाता है. चतुर्थी व्रत करने से और सच्चे मन से भगवान की अराधना करने से वे अपने भक्तों की सारी बाधाएं दूर कर देते हैं. साथ ही उनकी मनोकामनाओं को भी पूरा करते हैं. चतुर्थी में चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से गणेश पूजा करने से जीवन से सभी दुःख और संकट दूर हो जाते हैं.
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पूजा शुभ मुहूर्त
SANKASHTI CHATURTHI 2022 : हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 मार्च 2022, सोमवार को सुबह 08 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी और 22 मार्च 2022, मंगलवार को खत्म होगी. भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत 21 मार्च को रखा जाएगा. इस दिन गणेश पूजा करने का शुभ मुहुर्त 21 मार्च की सुबह 08:20 से शुरू होगा, वहीं चंद्रोदय का समय रात 08:23 बजे है.
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ऐसे करें संकष्टी चतुर्थी की पूजा
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प लें. फिर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें. उन्हें तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा, चंदन और मोदक अर्पित करें. साथ ही गणेश जी की आरती भी करें. इसके बाद सारा दिन व्रत करें, इस दौरान दूध और फल ले सकते हैं. रात में चांद निकलने से पहले गणेश भगवान की पूजा करें और फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारणा करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है)