एक सर्वे में सामने आया कि लोगों के बीच ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से महंगे कीमतों वाले सामान खरीदने का चलन बढ़ा है। ऐसे में उनका खराब उत्पादों से सामना भी बढ़ गया है। इसके अलावा ऐसे मामलों के निपटारे के लिए उचित निवारण तंत्र खोजने में भी उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है।
लोकल सर्किल द्वारा जारी एक सर्वेक्षण के अनुसार, दो में से लगभग एक भारतीय उपभोक्ता ने एक या अधिक उच्च-मूल्य वाले खराब उत्पाद खरीदने की बात स्वीकारी है। लोकल सर्किल ने ऐसे उच्च दाम वाले दोषपूर्ण उत्पादों को खरीदने व उसे एक्सचेंज करने के उपभोक्ता के प्रयासों का आकलन करने के लिए एक अखिल भारतीय अध्ययन किया।
इस अध्ययन में 28,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिसमें 63 फीसदी पुरुष और 37 फीसदी महिलाएं शामिल थीं। सर्वेक्षण में शामिल लगभग 46 फीसदी प्रतिभागियों ने कम-से-कम एक खराब उत्पाद खरीदने की की जानकारी दी। जिन लोगों ने ऐसे उत्पाद खरीदे जो खराब निकले
उनमें से 10 में से तीन को ब्रांड से कोई सहायता नहीं मिली। जबकि 10 में से एक ने उत्पाद को स्थानीय स्तर पर ठीक करने के लिए ब्रांड से संपर्क नहीं किया। सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चला है कि दो में से लगभग एक भारतीय उपभोक्ता को खराब उत्पाद खरीदने का अनुभव हुआ है।
उपभोक्ता चाहते हैं कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण या सीसीपीए दोषपूर्ण सामान बेचने वाले ब्रांडों के खिलाफ स्वत: कार्रवाई करे। निष्कर्षों के अनुसार, इसे 94 फीसदी उपभोक्ताओं का समर्थन प्राप्त है। लोगों का मानना है कि सीसीपीए की कार्रवाइयां ऐसी होनी चाहिए कि वे ऑफ्टर सेल सर्विस की कार्यशैली में बदलाव के लिए ब्रांड्स को मजबूर करें।
इस अध्ययन में ऑटोमोबाइल, गैजेट्स, व्हाइट गुड्स, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स व अप्लायंसेज आदि उच्च मूल्य वाले उत्पादों की बिक्री के अनुभव को शामिल किया गया। लोकल सर्किल इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों को केंद्र सरकार, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और सीसीपीए के प्रमुख हितधारकों के साथ कार्रवाई के लिए साझा करेगा।