नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह से पहले 11 दिनों से अपनी विशेष धार्मिक परंपरा के तहत फर्श पर कंबल के ऊपर सो रहे हैं और केवल नारियल पानी पी रहे हैं। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मोदी ‘गौपूजा’ कर रहे हैं और गौसेवा कर रहे हैं। इसके अलावा वह अन्नदान सहित अन्य चीजें भी दान कर रहे हैं। और साथ ही शास्त्रों के अनुसार वह वस्त्र भी दान कर रहे हैं।’’
धर्मनिष्ठ ‘राम भक्त’ के रूप में मोदी ने पिछले कुछ दिनों में नासिक स्थित रामकुंड और श्री कालाराम मंदिर, आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में वीरभद्र मंदिर और केरल में तिरुप्रायर श्री रामास्वामी मंदिर समेत देश के विभिन्न हिस्सों में मंदिरों का दौरा किया है। इसी तरह, वह अगले दो दिनों में तमिलनाडु में ऐसे और मंदिरों का दौरा करेंगे।
सूत्रों ने कहा कि ये मंदिर न केवल देश के विभिन्न हिस्सों को लोगों को जोड़ने का काम करते हैं बल्कि इनका भगवान राम के साथ भी संबंध है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में देश भर के मंदिरों में उनकी यात्रा और कई भाषाओं में रामायण सुनना और मंदिरों में भजनों में भाग लेना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका प्रभाव धर्म के आम दायरे से परे है।
उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों का उद्देश्य ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के उनके दृष्टिकोण के अनुरूप ‘भारतीय’ सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को मजबूत करना है। उन्होंने मंदिरों को साफ करने की पहल भी शुरू की और नासिक में श्री कालाराम मंदिर के परिसर की सफाई की। इसे एक जन आंदोलन बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने खुद सफाई का काम अपने हाथ में लिया।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘लाखों लोगों ने स्वेच्छा से मंदिरों की सफाई का काम किया। इस आंदोलन में देश के सभी क्षेत्रों के लोगों की उत्साहपूर्वक भागीदारी देखी गई है। मशहूर हस्तियों से लेकर आम आदमी तक, सभी ने मोदी के आह्वान का जवाब दिया है। इसे ‘एक्स’ पर हैशटैग ‘स्वच्छ तीर्थ अभियान’ के साथ भी लोग साझा कर रहे हैं।’’