उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों की 15 विधानसभा और 1 लोकसभा सीट पर उपचुनाव आज

नई दिल्ली। आज यानि 20 नवंबर को महाराष्ट्र की 288 सीटों पर तो वहीं, झारखंड में दूसरे चरण की 38 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इसके अलावा आज उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल और उत्तराखंड की 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग के मुताबिक, इन सीटों पर सुबह 7 बजे मतदान शुरू हो जाएंगे और शाम 6 बजे तक चलेंगे। वहीं, इनके परिणाम 23 नवंबर को सामने आएंगे। इन 15 सीटों में 13 सीटें ऐसी हैं, जो विधायकों के सांसद बन जाने के बाद खाली हुई थीं। इसके अलावा एक सीट पर निधन और एक सीट नेता के जेल जाने के बाद खाली हुई है। पांच राज्य इन की 15 सीटों में से 9 सीटें उत्तर प्रदेश की हैं।

उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव

लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान होगा। प्रदेश की नौ सीटों अंबेडकरनगर में कटेहरी, मैनपुरी में करहल, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद में मीरापुर, मिर्जापुर में मझवां, कानपुर नगर में सीसामऊ, अलीगढ़ में खैर, प्रयागराज में फूलपुर और मुरादाबाद में कुंदरकी सीटों पर आज वोटिंग होगी। इनमें से आठ सीटें मौजूदा विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई हैं, जबकि सीसामऊ में मौजूदा सपा विधायक इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उपचुनाव हो रहा है।

उपचुनाव में कुल 90 उम्मीदवार मैदान में हैं। सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं। वहीं, सबसे कम पांच—पांच उम्मीदवार खैर (सुरक्षित) और सीसामऊ सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी सीटों पर सपा ने जीत हासिल की थी जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर पर जीत हासिल की थी। मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल के पास थी, जो अब भाजपा की सहयोगी है। कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ रही है और इंडिया गठबंधन की अपनी सहयोगी सपा का समर्थन कर रही है। बहुजन समाज पार्टी अपने दम पर सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने गाजियाबाद, कुंदरकी और मीरापुर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने सीसामऊ को छोड़कर सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। उपचुनावों के नतीजों का 403 सदस्यीय उप्र विधानसभा पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह विभिन्न राजनीतिक दलों को एक संदेश देगा। सपा जहां सदन में अपनी संख्या बढ़ाने का लक्ष्य रखेगी, वहीं भाजपा और उसकी सहयोगी रालोद विधानसभा में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने की कोशिश करेगी।

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