देर से होगी मानसून की एंट्री:प्री मानसून नहीं, 44 डिग्री की गर्मी से लोग हो रहे बेहाल, एक माह पिछड़ेगी खेती

जिले में अगले 48 घंटे के भीतर प्री मानसून बारिश की संभावना है। इससे पहले गुरुवार को तापमान 44 डिग्री तक पहुंचा। दोपहर 3.30 बजे बादल छाए, तेज हवा चली, लेकिन सिर्फ 5-7 मिनट ही बूंदाबांदी भी हुई। मौसम विभाग के मुताबिक प्रदेश में मानसून की एंट्री थोड़ी देर से होगी।

भू अभिलेख शाखा और किसानाें के मुताबिक पिछले साल तक जून के पहले हफ्ते तक प्री मानसून बारिश होती थी,लेकिन इस बार देर से खेती में देर होगी। पिछले दो साल पांच ब्लाक में औसत से कम बारिश हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि सोलर पंप के बदले ज्यादातर लोग बिजली से चलने वाले पंप लगवा रहे हैं।

फैक्ट फाइल

  • 2 लाख 7 हजार 790 हेक्टेयर धान की फसल लगेगी।
  • 22 हजार हेक्टेयर में धान के बदले में ज्वार, मक्का, बाजरा, कोदो, कुटकी, रागी जैसे फसल लगाई जाएगी।
  • दलहन, तिलहन की फसल 15 हजार 929 हेक्टेयर पर लगेगी।
  • सब्जी, मूंगफली, तिल की खेती 4 हजार 455 हेक्टेयर पर होगी

प्रतिबंध नहीं लगा तो खेतों में बोर की संख्या बढ़ने लगी
बोरवेल एसोसिएशन के पदाधिकारी संजय अग्रवाल ने बताया कि शहर में 25 बोर मशीने हैं। शहर में लोग अमृत मिशन और ग्रामीण इलाकों में नलजल योजना चल रही है। शहरी इलाकों में बोर खनन कम हुए हैं लेकिन खेती वाले बोर की संख्या बढ़ी है। एक महीने में ही 1500 बोर हुए हैं।

मार्च के आखिर से जून के अंत तक बोर खुदाई पर रोक रहती थी, इस बार प्रतिबंध नहीं था। बोर खनन अधिक होने से जल स्तर गिर रहा है। शहर में कोतरा रोड बाइपास में ही 150 फीट में भी जलस्तर नहीं मिल पा रहा है। रोहित अग्रवाल ने बताया कि सरिया, सारंगढ़, बरमकेला में जल स्तर 175 फीट तक चला गया है। खेती प्रधान इन ब्लाक में सबसे ज्यादा बोर होते हैं।

11 या 12 जून को प्री मानसून इफेक्ट, हो सकती है बारिश
गर्मी के साथ गरम हवा चलेगी, लेकिन 11 और 12 जून को प्री मानसून इफेक्ट रहेगा। बारिश हो सकती है, लेकिन मानसून आने में थोड़ा समय लगेगा, मानसून के आगे बढ़ने जैसी स्थिति बन रही है। अगले 48 घंटे में दक्षिण महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक के कुछ और भाग, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम मध्य तथा उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी के कुछ और भाग में अगले 48 घंटे में मानसून की गतिविधि बढ़ने की संभावना है। मानसून के छत्तीसगढ़ आने थोड़ा समय लगेगा, लेकिन शुक्रवार को गर्म हवा चल सकती है।”
डॉ एचपी चन्द्रा, मौसम विशेषज्ञ

दुनिया रिनुएबल एनर्जी की तरह बढ़ी, हम अब भी खेतों में बिजली पंप ही लगवा रहे

  • क्रेडा के अफसरों के अनुसार पिछले सालों की तुलना में सरकार सोलर पंपों का टारगेट कम करती जा रही है। इस साल तो कोई भी टारगेट नहीं दिया गया है, सरगुजा और बस्तर संभाग में सोलर पंपों का टारगेट बढ़ाया गया है। जहां बिजली पर्याप्त है, वहां सोलर पंपों को टारगेट कम किया जा रहा है। तीन वर्षों से जो लक्ष्य मिला है, उसमें गौठानों में सोलर पंप ज्यादा लगे हैं।
  • 2021-2022 में 200 सोलर पंप का टारगेट दिया गया। 2020-21 में 600 जबकि 2019-20 में यह 831 था। दो सालों से 600 आवेदन पेडिंग हैं लेकिन क्रेडा आवेदकों को सोलर के बदले बिजली पंप लगाने की सलाह दे रहा है। कोयले की किल्लत और कार्बन एमिशन के कारण दुनियाभर में जहां सोलर और रिनुएबल एनर्जी के दूसरे विकल्पों पर काम हो रहा है वहीं हमारे जिले में बिजली के पंप लगाने की सलाह दी जा रही है।
Scroll to Top