फुटबॉलर के नाम पर सड़क बन रही, मां-बाप वहीं मजदूर

Ranchi फीफा अंडर-17 वुमन फुटबॉल वर्ल्ड कप आज से शुरू हुआ। भारत की कप्तानी झारखंड के गुमला की अष्टम उरांव ने की। सम्मान देने के लिए झारखंड सरकार अष्टम के गांव तक सड़क बना रही है, लेकिन ये विडंबना ही है कि उनके गरीब माता-पिता वहीं मजदूरी कर रहे हैं

फुटबॉलर के नाम पर सड़क बन रही, मां-बाप वहीं मजदूर
फुटबॉलर के नाम पर सड़क बन रही, मां-बाप वहीं मजदूर

 

 

भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में आज इंडिया की महिला टीम की पहली भिड़ंत अमेरिका से हुई है। अष्टम ने टीम को लीड किया। शुक्र है कि मां-बाप उन्हें खेलते हुए देख सके, क्योंकि हाल-फिलहाल ही उनके घर टीवी लगवाया गया है। पहले घर में क्या, पूरे गांव में ही टीवी नहीं था। अष्टम जब कैप्टन बनाई गई थीं तो झारखंड सरकार ने उनके सम्मान में सड़क बनाने का ऐलान किया। अष्टम के गांव तक सड़क नहीं थी। सरकार के इस ऐलान की तारीफ हुई थी, काम शुरू हुआ तो गांववाले भी खुश हुए।

 

लेकिन अष्टम के माता-पिता ढाई सौ रुपए की दिहाड़ी के लिए उसी सड़क पर बालू ढो रहे हैं। मजदूरी कर रहे हैं। जब सवाल किया गया तो अष्टम के पिता हीरा उरांव बोले- मजदूरी नहीं करेंगे, तो परिवार का पेट कैसे भरेगा।

जब यह बात सामने आई तो प्रशासन भी चौंक गया। गुमला के उपायुक्त सुशांत गौरव ने कहा कि यह बात उनकी जानकारी में नहीं है। मां-बाप और गांववाले अष्टम को वर्ल्ड कप मैच में खेलते हुए देख सकें, इसके लिए प्रशासन ने व्यवस्था की। अष्टम के घर में टीवी भी लगवा दिया गया है। उनके सम्मान में एक स्टेडियम भी बनाया जाएगा।

मां बोलीं- पानी भात और बोथा साग खिलाकर बड़ा किया

मां तारा देवी ने कहा कि बेटी भारत की कप्तान बन गई है। बहुत खुशी है। अष्टम शुरू से ही जुझारू है। वह जिस काम को ठान लेती है। उसे पूरे मन के साथ करती है। हमने बेटी को पानी भात और बोथा साग खिलाकर बड़ा किया है। जब नौकरी करने लगेगी तो काम छोड़ देंगे।

अष्टम के पिता भी मशहूर फुटबॉलर थे, पर मजदूरी मजबूरी है

अष्टम के पिता हीरा बिशनपुर प्रखंड के मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी थे। बनारी पंचायत के मुखिया बसनु उरांव ने बताया कि जंगल और पहाड़ के बीच बसे गांव में रहने वाले हीरा की आर्थिक स्थिति खराब है। मजदूरी करना उनकी मजबूरी है। घर भी मिट्टी का है, जो जर्जर स्थिति में है। हमने प्रशासन से कहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास दिया जाए। हमारी बच्ची अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टीम में कप्तान बनी, हम लोगों के लिए ये बहुत बड़ी बात है। अष्टम के गांव लौटने पर उसका जोरदार स्वागत किया जाएगा।

 

अष्टम की बड़ी बहन एथलीट व छोटी बहन फुटबॉलर

अष्टम का गांव गुमला शहर से 56 किलोमीटर की दूरी पर है। उसके माता-पिता का घर मिट्टी का है। अष्टम के पिता पेशे से किसान हैं, लेकिन परिवार के पास सिर्फ एक एकड़ जमीन है। इसमें साल में सिर्फ धान की एक फसल होती है।

अष्टम की दो बहनें और एक भाई है। बड़ी बहन सुमिना उरांव राष्ट्रीय स्तर की डिस्कस थ्रो एथलीट है। सबसे छोटी बहन अलका इंदवार झारखंड अंडर 16 फुटबॉल टीम की खिलाड़ी है। भाई सबसे छोटा है। वह पढ़ाई कर रहा है।

 

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गुमला की दो खिलाड़ी वर्ल्ड कप में खेल रहीं

Ranchi गुमला जिले की दो लड़कियां फीफा वर्ल्ड कप में खेल रही हैं। इनमें चैनपुर प्रखंड की सुधा अंकिता तिर्की और बिशुनपुर प्रखंड की अष्टम उरांव हैं। झारखंड की छह बेटियों को नेशनल टीम में जगह मिली है। जिसमें रांची की 3, गुमला की 2 और सिमडेगा की एक खिलाड़ी है।

 

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