रायगढ़, 4 मई2021/ जिले में कोरोना संक्रमितों के मिलने का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इसके बचाव के लिये सबको वैक्सीन की डोज लेनी चाहिए। यह कोरोना से लडऩे में कारगर है। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अब 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का भी टीकाकरण प्रारम्भ कर दिया गया है। वैक्सीन को लेकर सोशल साइट्स पर कुछ पर्चे प्रचारित किये जा रहे हैं, जिसमें बिन्दुवार लिखा गया है कि टीके लगाने से नुकसान हो सकता है, जो कि बिल्कुल अप्रामाणिक व गलत है। जनसामान्य से अपील की जाती है कि वे इस तरह की भ्रामक जानकारियों व भ्रांतियों से दूर रहें।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.केशरी ने बताया कि वैक्सीनेशन होने के बाद हमारे शरीर की (इम्युनिटी पावर)रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जो हमारे लिये फायदेमंद होती है। वैक्सीनेशन लगाने के बाद भी यदि कोरोना से संक्रमित हुये तो स्थिति गंभीर होने की संभावना न्यूनतम हो जाती है। वैक्सीन लगवाने वालों पर वायरस का प्रभाव कम होता है तथा संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में संक्रमण फैलने की संभावना अत्यंत कम हो जाती है। कोरोना वायरस की जंग में जिंदगी के लिये सबसे बड़ा कवच है वैक्सीन। अत: वैक्सीनेशन करायें और संक्रमण को बढऩे से रोके।
वैक्सीन किसे नहीं लगवाना है इसकी भ्रामक जानकारी से बचें
सोशल साइट्स के जरिये शेयर किये जा रहे पर्चे में लिखा है कि अविवाहित युवतियों को वैक्सीन लगवाने पर शादी के बाद उन्हें संतानहीनता की समस्या हो सकती है?
सीएमएचओ डॉ.केशरी ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोरोना वायरस के संबंध में समय-समय पर गाईड लाईन जारी की जा रही है। जिसमें कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि अविवाहित युवतियों को वैक्सीन से बचना चाहिये या इससे प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद हल्के बुखार, दर्द और एलर्जी जैसे छोटे-मोटे साइड इफेक्ट तो हो सकते है, लेकिन इसके प्रजनन क्षमता प्रभावित करने की बात सही नही है।
इसी प्रकार लिखा जा रहा है कि बच्चों को कोरोना वैक्सीन से दूर रखें क्योंकि इससे भविष्य में उन्हें बीमारियां हो सकती है। वर्तमान में कोरोना वैक्सीन सिर्फ 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही लगाई जा रही है। तो बच्चों को इससे दूर रखने वाली कोई बात नहीं है। इस प्रकार की बातें अपने अपने आप गलत साबित हो जाती है।
इसी प्रकार जिन लोगों को कभी निमोनिया, अस्थमा या ब्रॉन्काइटिस जैसी श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियां रह चुकी है हो, उन्हें वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिये। इससे उनकी मौत भी हो सकती है?
इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय ने श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियों के मरीजों को वैक्सीन लेने से न रोका है, न हीं ऐसा कोई शोध सामने आया है, जिन कंपनियों की वैक्सीन वर्तमान में लगाई जा रही है, उन्होंने भी ऐसी कोई बात नहीं कहीं है। जबकि बताया गया है कि फेफड़े की बीमारी से पीडि़त लोगों के लिये कोरोना वैक्सीन सुरक्षित है। शराब, सिगरेट, तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिये, इससे उन्हें कैंसर हो सकता है, यह बात भी लिखी गयी है।
इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात का उल्लेख किया है कि कोरोना वैक्सीन लेने से कुछ वक्त पहले और कुछ वक्त बाद तक शराब नहीं पीनी चाहिये। लेकिन ऐसा अब तक किसी शोध में नहीं कहा गया है कि जो लोग शराब, सिगरेट या तंबाकू का सेवन करते है, उन्हें कोरोना वैक्सीन लगवानी हीं नहीं चाहिये।
इसमें यह बात भी लिखी गयी है कि मानसिक समस्याओं के मरीजों को वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिये, क्योंकि इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है। वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद ऐसा कोई मामले सामने नहीं आये है जिनमें वैक्सीन लेने के बाद लोगों ने मानसिक समस्या होने की बात कही हो।
डायबिटिज के मरीजों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिये क्योंकि इससे उनकी मौत तक हो सकती है ? स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाईड लाईन या किसी रिपोर्ट में ऐसी कोई जानकारी का उल्लेख नही है कि डायबिटीज से पीडि़त लोगोंं को कोरोना वैक्सीन नही लगवानी चाहिये। अब तक रिपोर्ट में डायबिटीज से पीडि़त वाले व्यक्तियों के लिये भी वैक्सीन का कोई खतरा नहीं है। बल्कि वे तो कोमोर्बिड की श्रेणी में आते हैं और उन्हें प्राथमिकता से वैक्सीन लगायी जा रही है।