कोरोना की चौथी लहर को रोकने की तैयारी

चौथी लहर की चर्चा अब तेज हो गई है। एक्सपर्ट्स जून में इसके आने के आसार जता रहे हैं। सरकार के एक्सपर्ट डॉ. एनके अरोड़ा का कहना है कि हम अगले कुछ दिनों में गटर के पानी की भी सैंपलिंग करेंगे। इससे कोरोना वायरस को कम्युनिटी लेवल पर फैलने से रोका जा सकेगा।

इसके अलावा चौथी लहर में भारत कितना चाक चौबंद होगा? बूस्टर डोज को लेकर भारत कितना तैयार है? छोटे बच्चों का वैक्सीनेशन कब तक होगा? कुल मिलाकर हमने पिछली लहरों से क्या सबक लिया और चौथी लहर से लड़ने के लिए हम कितने तैयार हैं? कोविड टास्क फोर्स की नेशनल इम्यूनाइजेशन टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (NITAGI) के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने दैनिक भास्कर के ऐसे ही कई सवालों के भी जवाब दिए।

सवाल: चौथी लहर से निपटने के लिए क्या हमने अपनी व्यवस्था को कुछ और चाकचौबंद किया है?

जवाब: देखिए, मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के बारे में वह लोग बताएंगे जिनका यह काम है। जहां तक हमारी टीम का सवाल है तो हम वायरस को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए सीवेज सैंपलिंग भी अगले एक दो हफ्तों में शुरू करने वाले हैं। यानी अब गटर के पानी की भी सैंपलिंग होगी। कुछ वायरस जो हमारे मल के साथ, नहाने-धोने के समय गटर के पानी में मिल जाते हैं, उनकी पहचान इस तरह की सैंपलिंग से आसानी से हो सकेगी।

दरअसल, कई वायरस हमारे शरीर में होते तो हैं, लेकिन वे हमें इन्फेक्ट नहीं कर पाते। ऐसे लोग एसिंप्टोमेटिक की कैटेगरी में आते हैं। इसलिए उनकी पहचान भी नहीं हो पाती। दरअसल सैंपलिंग का यह तरीका कम्युनिटी इन्फेक्शन को जल्द से जल्द पकड़ने का काम करेगा। हम कम्युनिटी इन्फेक्शन की शुरुआती अवस्था में ही अलर्ट हो जाएंगे।

सवाल: बच्चों के लिए वैक्सीन की चर्चा कोविड की पहली लहर से ही चल रही है। कब तक वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है?

जवाब: 12 से 14 वर्ष के टीनएजर्स को वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है। इससे पहले 15 से 18 वर्ष के टीनएजर्स को वैक्सीन लगने लगी थी, लेकिन इससे कम उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन अभी उपलब्ध नहीं है। हां, ट्रायल चल रहा है।

बिल्कुल छोटे बच्चों जैसे, एक दो साल तक के बच्चों के मां-बाप को अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि वैक्सीन फेजेज में ही आएंगी, जैसे अब जब भी वैक्सीन आएगी वह 5-12 साल के बच्चों के लिए होगी। उसके बाद 2-5 साल के बच्चों की वैक्सीन आएगी। तब जाकर दो साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगनी शुरू होगी।

सवाल: भारत में बूस्टर डोज के लिए अब लोगों को कितना इंतजार करना होगा?

जवाब: पहली बात तो हमें यह समझने की जरूरत है कि जिन देशों में बूस्टर डोज दिए गए, वहां क्या लोगों को संक्रमण नहीं हुआ? सिंगापुर और यूरोप में बूस्टर डोज के बाद भी इन्फेक्शन के मामले सामने आए। देश ने अपने ऑब्जर्वेशन के आधार पर यह फैसला किया है कि अभी सबको बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है। अभी हमारा जोर देश की पूरी आबादी को प्राइमरी वैक्सीनेशन यानी दोनों डोज देने पर है।

सवाल: आबादी का एक हिस्सा कमजोर इम्यून सिस्टम का भी शिकार है, क्या उनके लिए बूस्टर डोज देने की कोई प्लानिंग है?

जवाब: बिल्कुल है, बल्कि कोविड टास्क फोर्स की नेशनल इम्यूनाइजेशन टेक्निकल टीम ने एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। उसमें सप्रेस्ड इम्यून सिस्टम और इम्यूनो कंप्रोमाइज कैटेगरी में आने वाले लोगों को बूस्टर डोज देने का सुझाव दिया गया है।

इस कैटेगरी में कमजोर इम्यून सिस्टम वाले और इन्फेक्शन के प्रति लड़ने की क्षमता न रखने वाले और लगातार स्टेरॉयड लेने के कारण कमजोर हो चुके इम्यून सिस्टम वाले लोगों को रखा जाता है। टीम की तरफ से ऐसे लोगों को बूस्टर डोज देने के लिए एक रिपोर्ट तैयार की गई है। यह रिपोर्ट सरकार को भी सौंपी जा चुकी है।

मोटे तौर पर इसमें कैंसर, एचआईवी, रयूमेटाइड अर्थराइटिस, डायबिटीज, कुपोषण, कुछ खास तरह के जेनेटिक डिसऑर्डर वाले लोगों के अलावा लंबे समय से स्टेरॉयड और दवाइयां ले रहे लोग आते हैं।

सवाल: केवल कैंसर से पीड़ित 14 लाख से ज्यादा लोग हैं, अगर सभी बीमारियों को इसमें जोड़ें तो यह आंकड़ा काफी बड़ा हो जाता है। इन सभी को बूस्टर डोज देने में भारत सक्षम है?

जवाब: भारत दुनिया की आधी आबादी को वैक्सीन लगाने में सक्षम है। चैलेंज वैक्सीन की उपलब्धता नहीं बल्कि इन सारे लोगों को खोज निकालना है। अस्पतालों में दर्ज आंकड़ों के अलावा भी ऐसे लोग देशभर में हैं। उनको कैसे ट्रेस करेंगे।

दूसरी बात जो आंकड़ा आपके पास है भी वह पूरे देश में बिखरा होगा। हजारों शहर, लाखों गांव, कस्बों वाले देश में इन लोगों तक पहुंचना हमारे लिए सबसे बड़ा चैलेंज होगा। सरकार को रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है, अब सरकार ऐसे लोगों तक पहुंच बनाने की क्या रणनीति तैयार करती है, यह देखने वाली बात होगी।

सवाल: ऐसा कहा जा रहा है कि चौथी लहर पिछली लहरों से कम घातक होगी। क्या लोग थोड़ी राहत महसूस कर सकते हैं?

जवाब: देखिए पैनिक होने की जरूरत नहीं है, लेकिन अलर्ट रहने की जरूरत है। यह तय है कि चौथी लहर पुराने वैरिएंट से नहीं आएगी। इसलिए यह लहर कैसी होगी यह आने के बाद ही पता चलेगा।

तीसरी लहर में कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट का सबसे ज्यादा हिस्सा था। भारत में अपेक्षाकृत नुकसान कम हुआ। पर अब जो वैरिएंट होगा वह कितनी पॉवर वाला होगा, यह उसके आने के बाद ही पता चलेगा। इसलिए कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर अभी बनाए रखना है। यही हमारे पास सबसे बड़ा हथियार है।

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