पिछले साल टीजर रिलीज के साथ ही चर्चाओं में आई फिल्म, द केरल स्टोरी पर रोक लगाने की मांग हो रही थी. परंतु केरल हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा कि यह फिल्म इस्लाम के खिलाफ नहीं, बल्कि आईएसआईएस के खिलाफ है. अगर आप इस नजरिये से देखेंगे तो पाएंगे कि यह एक हार्ड हिटिंग फिल्म है. लेकिन इस तरह न देखने पर आपको यह प्रपोगंडा फिल्म महसूस होगी, जो केरल में हिंदू और ईसाई लड़कियों के मुस्लिम धर्मांतरण को दिखाती हुई कई जगह पर हिला देती है. क्या यह एक राजनीतिक फिल्म है और कर्नाटक चुनावों से कुछ दिनों पहले इसकी रिलीज टाइमिंग, बहस का मुद्दा हो सकती है.
आईएसआईएस पूरी दुनिया में कुख्यात संगठन है, जो हर तरफ इस्लामी राज देखना चाहता है. उसके तरीके बर्बर हैं और आधी दुनिया कहलाने वाली महिलाओं को लेकर उसकी सोच बाबा आदम के जमाने से भी पिछड़ी है. द केरल स्टोरी इसी संगठन से जुड़े लोगों के द्वारा भारत के सबसे दक्षिण में स्थित राज्य में हिंदू-ईसाई युवतियों को मुस्लिम युवकों के प्रेम जाल में फंसाकर उन्हें अफगानिस्तान-सीरिया-तुर्की भेजे जाने की कहानी कहती है. हालांकि निर्माता-निर्देशक ने फिल्म के टीजर में दावा किया था कि यह केरल की 32 हजार युवतियों की कहानी है, परंतु अदालत में उन्होंने कहा कि यह फिल्म तीन युवतियों की कहानी है. पूरी कहानी तथा किरदार सच्ची घटनाओं और पीड़ित युवतियों के जीवन से प्रेरित हैं.