Toyota Mirai: ईंधन के प्रमुख स्त्रोत पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम करने का लंबे समय से प्रयास किया जा रहा है. इसके पीछे की प्रमुख वजह इन ईंधनों के जरिए वाहनों से होने वाला प्रदूषण और दूसरा पेट्रोल-डीजल के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता.
इनके विकल्पों के रूप में पहले CNG और ईलेक्ट्रिक व्हीकल के बाद अब हाइड्रोजन व्हीकल प्रमुख हैं. दरअसल टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने बुधवार को इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी के साथ अपने पायलट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में भारत का पहला ऑल-हाइड्रोजन इलेक्ट्रिक कार मिराई लॉन्च किया.
टोयोटा मिराई दुनिया के पहले हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में से एक है और यह शुद्ध हाइड्रोजन से पैदा होने वाली बिजली से चलता है. इसे एक वास्तविक जीरो एमिशन वाहन भी माना जाता है, क्योंकि कार टेलपाइप से सिर्फ पानी का उत्सर्जन करती है.
रेंज
वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा ने कहा कि Toyota Mirai FCEV की दूसरी पीढ़ी को कर्नाटक में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स के प्लांट में बनाया जाएगा. इसे दिसंबर 2020 में वैश्विक स्तर पर पेश किया गया था. कंपनी का दावा है कि इस कार में सिर्फ पांच मिनट में ईंधन भरा जा सकता है. यह कार एक बार फुल टैंक ईंधन भरने पर 646 किमी तक की दूरी तय कर सकती है.
गडकरी करेंगे इस्तेमाल
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मिराई हाइड्रोजन आधारित एडवांस्ड फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए पायलट परियोजना लॉन्च की है. गडकरी ने हाल ही में कहा था कि वह टोयोटा मिराई का इस्तेमाल खुद शुरू करेंगे, जबकि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) वाहन के लिए हाइड्रोजन की आपूर्ति करेगा. Also Read – One Moto इंडिया ने राजस्थान रॉयल्स से मिलाया हाथ, क्रिकेट लीग के लिए बना ऑफिशियल ईवी टू-
व्हीलर पार्टनर
फिलहाल यह पायलट प्रोजेक्ट है और बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल के अलावा सरकार हरित और स्वच्छ ईंधन के रूप में हाइड्रोजन फ्यूल सेल को भी आगे बढ़ा रही है.
टोयोटा मिराई एफसीईवी सेडान एक हाई-प्रेशर हाइड्रोजन ईंधन टैंक और एक इलेक्ट्रिक मोटर से लैस है. पावरट्रेन हाइड्रोजन को पानी और ऑक्सीजन में तोड़ता है और उससे एनर्जी पैदा करता है. इंटरनल कंब्शन इंजन की तरह गैस उत्सर्जित करने के बजाय, हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावरट्रेन टेलपाइप से पानी का उत्सर्जन करता है.
टोयोटा मिराई एफसीईवी को पेश करने के लिए टोयोटा और आईसीएटी के बीच सहयोग के बारे में बोलते हुए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा कि यह भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसका मकसद हाइड्रोजन, एफसीईवी टेक्नोलॉजी के बारे में जागरूकता फैलाना है.