Cg News : छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला जो कि सबसे अधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र में शामिल है। इस समय अलग-अलग स्थानों पर दल से अलग हुए 11 हाथियों ने डेरा जमाया हुआ है।
वनमंडलाधिकारी ने बताया
जशपुर जिले का तपकरा, दुलदुला, कुनकुरी, पत्थलगांव, बगीचा और जशपुर ब्लाक हाथी प्रभावित क्षेत्र में शामिल है। वन विभाग के अनुसार इन पांच ब्लाक के 250 ग्राम पंचायत इसके दायरे में आते हैं। इनमें तपकरा, कुनकुरी और दुलदुला सबसे अधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र है। तपकरा और दुलदुला ब्लाक झारखंड और ओडिशा राज्य की अंर्तराज्यीय सीमा से घिरे हुए हैं। इन दोनों राज्यों से हाथियों की घुसपैठ होती है। इन ब्लाकों के घने जंगल और प्रचुर मात्रा में पानी की उपलब्धता अतिकायों को खूब भाता है। इसलिए साल के लगभग 12 महीने हाथियों की हलचल बनी रहती है।
जंगल किनारे स्थित घर व बस्तियों पर हाथियों का खतरा
हाथियों के हमले का सबसे अधिक खतरा जंगल के किनारे स्थित कच्चे मकान और बस्तियों पर सबसे अधिक रहता है। इसलिए विभाग फिलहाल ऐसे बस्तियों के रहवासियों को सुरक्षित करने पर ध्यान दे रहा है। उन्होनें बताया कि हाथी विचरण वाले क्षेत्र के जंगल किनारे स्थित घर व बस्तियों के रहवासियों को लिखित सूचना देने के साथ ही
ग्रामीणों को घर में कटहल, महुआ और अधिक मात्रा में धान ना रखने और धान रखे हुए कमरे में रात के समय ना सोने की वन क्षेत्र के किनारे स्थित घर व बस्तियों के रहवासियों को पक्के मकान में रात गुजारने का अनुरोध किया जा रहा है।
लोकेशन ट्रेस के लिए सूचना यंत्र का प्रयोग
एनीमल ट्रेकर डिवाइस और ड्रोन जैसे अत्याधुनिक संसाधनों का प्रयोग किया जा रहा है। आधुनिक संसाधनों के साथ सूचना तंत्र का प्रयोग भी किया जा रहा है। ड्रोन से हाथियों का लोकेशन ट्रेस करके एनीमन ट्रेकर डिवाइस के माध्यम से प्रभावित बीट के लोगों को टैक्सट और वाइस मैसेज भेज कर एलर्ट किया जा रहा है। वनविभाग के अधिकारी और कर्मचारी इन दिनों हाथियों का लोकेशन ट्रेस करने के लिए इस मोड में काम कर रहें हैं।