पिछले कुछ दिनों से लगातार महंगाई पर बहस चल रही है। पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडरों के महंगे होने के बाद अब राशन, इलेक्ट्रानिक्स गुड्स और दवाइयों में कीमतें बढ़ गई हैं। एक अप्रैल से लगभग सभी दवाइयां 10 प्रतिशत महंगी हो गई हैं। एक तरफ महंगाई लगातार बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ कई सरकारी कर्मचारी संगठन महंगाई भत्ते को बढ़ाने की मांग को लेकर सड़कों पर हैं।
पिछले दो साल में महंगाई भत्ता 5 फीसदी बढ़ा है। इसे लेकर तकरीबन 16 से ज्यादा संगठन रायपुर में ही धरना दे रहे हैं। उधर, चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक स्टडी के मुताबिक निजी क्षेत्र में नौकरी करने वालों की सैलरी कोरोनाकाल में तो नहीं बढ़ी, अलबत्ता नौकरियां कम हुई हैं। पिछले साल सैलरी में कुछ बढ़ोत्तरी की गई, लेकिन वो मामूली थी। इस महंगाई के कारण मिडिल क्लास के घर का बजट काफी बिगड़ गया है।
प्राइवेट कंपनियों में सैलेरी पहले से कम हो गई
चैंबर ऑफ काॅमर्स की स्टडी के मुताबिक प्रदेश में अलग-अलग निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों का 2018 की तुलना में 2019 में 15 फीसदी तक सैलेरी बढ़ी, लेकिन 2020 से कोरोना के बाद नौकरियां जानी शुरू हुईं, सैलरी आधी हो गई। 2022 में कुछ कंपनियों ने इंक्रीमेंट दिया। एक साल का इंक्रीमेंट किसी कंपनी ने नहीं दिया।












