दिवाली का त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, सरस्वती माता और मां काली की पूजा होती है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल का समय सर्वोत्तम माना जाता है जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है। तो वहीं माता काली की पूजा के लिए महानिशीथ काल समय शुभ होता है। हालांकि यह मुहूर्त तांत्रिक, पंडित और साधकों के लिए उपयुक्त होता है। दिवाली की रात में लोग अपने घरों को दीपक की रोशनी से सजाते हैं और एक-दूसरे को मिठाई देते हैं। यहां आप जानेंगे दिवाली पूजन मुहूर्त, विधि, मंत्र, कथा, आरती समेत सारी जानकारी।
दिवाली 20 या 21 अक्टूबर
दिवाली का त्योहार 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा, 21 को नहीं, क्योंकि इस दिन प्रदोष काल के समय अमावस्या तिथि मिल रही है। बता दें दिवाली पूजन अमावस्या के दिन प्रदोष काल में करना उत्तम माना जाता है।
दिवाली 2025 लक्ष्मी पूजन मुहूर्त
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 20 अक्टूबर 2025 की शाम 07:08 से रात 08:18 बजे तक रहेगा। तो वहीं प्रदोष काल शाम 05:46 से रात 08:18 तक और वृषभ काल शाम 07:08 से रात 09:03 तक रहेगा। वहीं लक्ष्मी पूजन के लिए रात्रि का समय रात11:41 से देर रात 12:31 बजे तक रहेगा।
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2025 (Diwali 2025 Choghadiya Muhurat)
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 03:44 PM से 05:46 PM
सायाह्न मुहूर्त (चर) – 05:46 PM से 07:21 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 10:31 PM से 12:06 AM, अक्टूबर 21
उषाकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 01:41 AM से 06:26 AM, अक्टूबर 21
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि (Diwali Lakshmi Puja Vidhi)
दिवाली के दिन शाम और रात के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात में महालक्ष्मी धरती पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। ऐसे में जो भी घर स्वच्छ और प्रकाशवान होता है वहां माता अंश रूप में ठहर जाती हैं। चलिए जानते हैं दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा कैसे की जाती है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन से पहले घर की अच्छे साफ-सफाई करें। घर में शुद्धि और पवित्रता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें।
घर के मुख्य द्वार और पूजाघर के पास रंगोली बनाएं।
दिवाली पूजन के लिए पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। फिर इस पर माता लक्ष्मी, गणेश भगवान, राम दरबार और कुबेर देव की प्रतिमा की स्थापना करें।
ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी की मूर्ति को श्री गणेश के दाहिने हाथ की तरफ स्थापित करना चाहिए।
पूजा के लिये कुछ लोग सोने की मूर्ति रखते हैं, कुछ चांदी की, तो कुछ लोग मिट्टी की मूर्ति या फिर तस्वीर से भी पूजा करते हैं। आप अपनी इच्छानुसार भगवान की कैसी भी प्रतिमा रख सकते हैं।
मूर्ति स्थापना के बाद पूजा स्थल को फूलों से सजाएं। साथ ही पूजा के लिये कलश या लोटा उत्तर दिशा की तरफ रखें और दीपक को आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व की तरफ रखें ।
चौकी के पास ही जल से भरा एक कलश भी रखें।
आपने धनतेरस पर जो सामान खरीदा है उसे भी पूजा स्थल पर जरूर रखें।
पूजा में फल-फूल और मिठाई के साथ ही पान, सुपारी, लौंग इलायची और कमलगट्टे भी रखें।
अब भगवान की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और एक घी का दीपक जला लें।
जल, मौली, हल्दी, अबीर-गुलाल, चावल, फल, गुड़ आदि से विधि विधान पूजा करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें।
अंत में माता लक्ष्मी, गणेश जी और भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें।
इसके बाद घर के कोने-कोने में दीपक जलाकर रखें। वहीं घर के मंदिर में एक घी का बड़ा दीपक और दूसरा सरसों के तेल का बड़ा दीपक जरूर रखें। ध्यान रहे कि ये दीपक पूरी रात जलते रहना चाहिए।
दिवाली पर कितने दीपक जलाने चाहिए (Diwali Par Kitne Diya Jalaye)
दिवाली पर कम से कम 13 या 26 छोटे दीपक जलाने चाहिए। साथ में दो बड़े दीपक भी जलाने चाहिए।
दिवाली पर घर की सजावट कैसे करें?
दिवाली पर घर को साफ-सुथरा रखें। घर की पुरानी और बेकार चीजों को हटा दें, क्योंकि वास्तु के अनुसार ये नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती हैं। घर को रंगोली, फूलों और लाइट्स से सजाएं। दरवाजे पर आम और अशोक के पत्तों से तोरण लगाना बेहद शुभ माना जाता है। खुशबूदार अगरबत्ती और फूलों से माहौल को सकारात्मक बनाएं।