जमीनी हकीकत जानने के लिए सफर पर निकली सरकार के लिए मिल रहे फीडबैक आने वाले दिनों में रणनीति बनाने के काम आएंगे। सीएम भूपेश बघेल संभवत: तीन महीने तक इसी थीम को लेकर प्रदेश भर के दौरे पर रहेंगे। इससे मिले फीडबैक के आधार पर सरकार चुनावी रणनीति को आकार देगी।
मुख्यमंत्री का प्रदेशव्यापी दौरा केवल सरकार के मुखिया का नहीं है बल्कि यह प्रभारी मंत्री से लेकर मुख्य सचिव और निचले स्तर पर प्रशासनिक अमले का भी है। हर विधानसभा क्षेत्र में तीन-तीन गांवों में सरकार के पहुंचने का अर्थ है- गांव-गांव से जानकारी मिलेगी। दो दिन की सरकार की यात्रा के परिणामों पर नजर डालें तो इससे साफ दिख रहा है कि किसान न्याय योजना और गोबर खरीदी की योजना ने सरकार को गांव-गांव में लोगों से बात करने का अवसर प्रदान किया है।
लेकिन हाल में जिस योजना ने सरकार की सोच में महत्वपूर्ण बदलाव किया है, वह है स्वामी आत्मानंद के नाम पर शुरू किए जा रहे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल। इस योजना से प्रबुद्ध वर्ग में एक लहर सी दौड़ गई है। मुख्यमंत्री अपने दौरे के दौरान जब लोगों से बात कर रहे हैं या भ्रमण कर रहे हैं ताे आत्मानंद स्कूल चालू करने के लिए उनको सीधे न केवल साधुवाद मिल रहे हैं बल्कि लोग मांग कर रहे हैं कि इस योजना का लाभ हर किसी को मिलना चाहिए। यानी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने का निर्णय सरकार को उत्साहित करने वाला है।
हाल फिलहाल में किसी भी योजना को लेकर इस तरह का रिस्पांस सरकार काे नहीं मिला है। खुद मुख्यमंत्री भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों ने निम्न मध्यम वर्ग के लोगों में यह उम्मीद जगाई है कि उनके बच्चे बिना किसी खर्च के अंग्रेजी माध्यम में पढ़ सकते हैं।
इसलिए अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को पीढ़ी सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रही बात वर्तमान पीढ़ी के गरीब तबके के लोगों की तो उन पर किसान न्याय योजना और गोबर खरीदी ने भी असर डाला है। महिलाएं गोबर बेचने का रिकार्ड लेकर सीएम से रूबरू हो रही हैं।
छोटे-छोटे किसानों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि उनको किसान न्याय योजना की राशि समय पर मिल जा रही है। शहरी आबोहवा में रहने वालों के लिए गौठान योजना भले ही महत्वपूर्ण ना हो लेकिन गांवों में मुख्यमंत्री से मांग हो रही है- हमारे गांव में गौठान शुरू किया जाए। यह निश्चित रूप से इस याेजना से गांवों में आ रहे बदलाव का उदाहरण है।
कारण साफ है, गोठान के जरिए गांवों में इंडस्ट्रियल पार्क आएगा और लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। यही वजह है कि शहरी तड़क-भड़क से दूर ग्रामीण जनजीवन को प्रभावित करने वाली योजनाओं की बात अधिक हो रही है। प्रशासनिक अमले की शिकायतें और राशन कार्ड बनाने में देरी और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही जैसी बातें भी सामने आ रही हैं लेकिन ये प्रशासनिक कामकाज का हिस्सा हैं जो सालों से चली आ रही हैं।
भावी रणनीति बनाने के लिए सरकार के सामने जो चुनौती है, वह है अधिक से अधिक लोगों को अपनी योजनाओं और बातों से आकर्षित करने की। इसलिए सीएम के इस प्रदेशव्यापी दौरे से मिली जानकारियों को 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण बिंदुओं के तौर पर शामिल किया जाएगा, यह तय है।
सच की सीधी पड़ताल, तुरंत कार्रवाई
दौरे के दौरान तमाम प्रशासनिक तैयारियां इसलिए बेमानी हो जा रही हैं क्योंकि सीएम किसी भी समय किसी भी व्यक्ति से मिल रहे हैं और बात कर पूछ रहे हैं कि कोई समस्या तो नहीं है। राशन दुकान में खुद रजिस्टर देख रहे। थाने में रोजनामचा के प्रकरणों की प्रगति खुद पूछ रहे। अफसरों के जरिए मिलने वाले फीडबैक पर भरोसा करने के बजाय वे खुद ही लोगों से पूछ रहे हैं कि उनकी योजनाओं का लाभ किस प्रकार और किस स्तर पर मिल रहा है।
यहां तक कि लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई के लिए वे जांच का कोई निर्देश देने के बजाय सीधी कार्रवाई कर सस्पेंड कर रहे हैं। कार्रवाई के बाद खुद मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया- अगर लापरवाही की है, तो सजा भुगतने के तैयार रहें।