एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित जंगल सफारी में बाड़ों का नहीं हो रहा उद्घाटन

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रायपुर। गर्मी की छुट्टियों में एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित जंगल सफारी की सैर करने जाने वाले पर्यटकों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है। यहां चौसिंगा, चिंकारा और सांभर आदि वन्यजीवों को देश के दूसरे जू से लाकर रखा गया है, लेकिन पर्यटकों के लिए बाड़े नहीं खोले जा रहे हैं। वन मंत्री मो. अकबर के हाथों बाड़ों का उद्घाटन होना है। उद्घाटन के बाद ही बाड़े पर्यटकों के लिए खोले जाएंगे। पिछले पांच माह से बाड़े बनकर तैयार हो गए हैं। उद्घाटन का इंतजार किया जा रहा है।

ज्ञात हो कि है कि जंगल सफारी में प्रदेश के कोने-कोने से पर्यटक आते हैं। वर्तमान में रोजाना 800 तथा छुट्टी के दिन 1,500 पर्यटक जंगल सफारी पहुंच रहे हैं। जंगल सफारी के बाड़ों में वर्तमान में टाइगर, लायन, वाइट टाइगर, तेंदुआ और कछुआ, मानिटल लिबर्ट (गोह) हिप्पोपोटामस, घड़ियाल समेत हिमालयन भालू को शिफ्ट कर दिया है। वहीं करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए 10 बाड़ों के उद्घाटन के लिए समय नहीं मिल पा रहा है। इस कारण पर्यटकों के पास आवाजाही पर रोक है। प्रबंधन का कहना है कि मुख्यालय से बाड़ों के उद्घाटन के लिए पत्र लिखा गया है।

कुल 58 बाड़ों का होना है निर्माण
जंगल सफारी में 58 बाड़ों का निर्माण किया जाना है, अब तक 28 बाड़ों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। बाड़े में वन्यजीवों को शिफ्ट कर दिया गया है। सफारी प्रबंधन द्वारा हाल ही में 10 बाड़ों का निर्माण कार्य पूरा कर इन बाड़ों में चीतल, चिंकारा, सांभर, चौसिंगा, जंगली कुत्ता आदि वन्यजीवों को रखा गया है। सफारी प्रबंधन तकरीबन पांच माह पहले इन वन्यजीवों को लाकर इनकी खातिरदारी कर रहा है

जंगल सफारी के डायरेक्टर एम. मर्सीवेला ने कहा, बाड़े बनकर तैयार हैं। उनमें जानवरों को शिफ्ट कर दिया गया है। मुख्यालय को पत्र भेजा गया है। वही तय करेगा कि उद्घाटन कब होगा।

फैक्ट फाइल
58 बाड़ों का होना है निर्माण
38 अब तक बनकर तैयार
20 का निर्माण कार्य शेष

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