Pakistan: भारत से अलग होने के बाद से अब तक पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। कभी सेना ने यहां सत्ता उलट कर रख दी तो कभी अदालतों ने पीएम को ही अयोग्य घोषित कर दिया। अगर, इन सबसे बच भी गए तो सरकार अपने कारनामों से ही गिर गई।
जनता की अदालत में पेश
एक बार फिर से पाकिस्तान की जम्हूरियत उसी मोड़ पर आ गई है। यहां विपक्ष से लेकर सरकार तक सब सड़क पर हैं। सरकार गिराने की तैयारी जोरों पर है और पीएम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाने की तैयारी है। इस बीच इमरान खान आज जनता की अदालत में पेश होने जा रहे हैं। उन्हाेंने इस्लामाबाद में एक रैली बुलाई है। माना जा रहा है कि इस रैली में 10 लाख लोग आ सकते हैं। यहीं से सत्ता का मिजाज भांप कर इमरान खान आगे की राजनीति तय करेंगे। इससे पहले इमरान खान ने एक जनसभा को भी संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि, मैं सभी पाकिस्तानियों को पैगाम देता हूं कि आप सबने कल इस्लामाबाद पहुंचना है क्योंकि यह अल्लाह का हुक्म है।
इस्तीफा दे सकते हैं इमरान
पाकिस्तान में इमरान खान प्रधानमंत्री रहेंगे या नहीं? वह खुद इस्तीफा देंगे या उन्हें सत्ता से बेदखल किया जाएगा? या फिर वह अपनी ताकत दिखाकर जम्हूरियत पर काबिज रहेंगे? इन सब सवालों के जवाब आज इस्लामाबाद में होने वाली रैली में मिल जाएंगे। हालांकि, वह रैली के जरिए विपक्ष को कड़ा संदेश भी देना चाहते हैं। दरअसल, पाकिस्तानी नेशनल असेंबली में 342 सदस्य हैं और इमरान खान को बहुमत साबित करने के लिए 172 सदस्यों का समर्थन चाहिए। संकट के बीच इमरान ने रविवार को इस्लामाबाद में एक रैली बुलाई है और अटकलें है कि वो यहां इस्तीफे का एलान कर सकते हैं।
कब आया सरकार पर संकट
इमरान खान को बढ़ती आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनकी सरकार विपक्ष द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही है। पाकिस्तानी नेशनल असेंबली में 342 सदस्य हैं और इमरान खान को बहुमत साबित करने के लिए 172 सदस्यों का समर्थन चाहिए। पीटीआई के नेतृत्व वाला गठबंधन 179 सदस्यों- पीटीआई (155 सदस्य) और चार प्रमुख सहयोगी एमक्यूएम-पी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू), बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) और ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस (जीडीए) के समर्थन से बनाया गया था। इनके क्रमश: सात, पांच, पांच और तीन सदस्य हैं, लेकिन अब इमरान खान के 24 सांसद व सहयोगी दलों ने बगावत कर दी है। इससे सरकार संकट में आ गई है। इमरान खान और उनकी पार्टी के सदस्य सियासी उथल-पुथल को टालने के लिए हर तरह की आजमाइश कर रहे हैं।
इमरान खान के लिए चुनौतियां बढ़ीं
इमरान खान के लिए राजनीतिक चुनौतियां तब और बढ़ गईं, जब उनकी सरकार आईएमएफ के साथ 6 अरब डॉलर के राहत पैकेज पर बातचीत कर रही है और बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही है। इस्लामाबाद में पीपीपी के लंबे मार्च के बाद 8 मार्च को विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। विपक्ष को भरोसा है कि उसके प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाएगी क्योंकि पीटीआई के कई विधायक पीएम इमरान खान के खिलाफ खुलकर सामने आए हैं। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने शुक्रवार को सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि जैसे-जैसे महत्वपूर्ण अविश्वास प्रस्ताव सत्र नजदीक आता जा रहा है और राजनीतिक गठजोड़ में अनिश्चितता बनी हुई है, सत्ताधारी दल के कम से कम पचास मंत्री राजनीतिक मोर्चे से लापता हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 50 से अधिक संघीय और प्रांतीय मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है। कुल मिलाकर विपक्ष ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ खतरों का ढेर लगाना शुरू कर दिया है।
विपक्ष ने भी बुलाई रैली
इमरान खान को जवाब देने के लिए विपक्ष की ओर से भी इस्लामाबाद कूच का आह्वान किया गया है। खबरों के मुताबिक, पाकिस्तानी डेमोक्रेटिक मूवमेंट के बैनर तले विपक्षी नेता इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं। ऐसे में इमरान और विपक्ष समर्थकों में आमना-सामना हो सकता है। वहीं गृहमंत्री शेख रशीद ने चेतावनी दी है कि विपक्ष को इस्लामाबाद में रैली की अनुमति नहीं दी गई है।