आईपीएल 2022 के 46वें मैच में चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) ने सनराइजर्स हैदराबाद (एसआरएच) को 13 रन से हराकर सीजन में अपनी तीसरी जीत हासिल की। पुणे के महाराष्ट्र क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए चेन्नई ने 20 ओवर में दो विकेट गंवाकर 202 रन बनाए। जवाब में सनराइजर्स हैदराबाद की टीम 20 ओवर में छह विकेट गंवाकर 189 रन ही बना सकी।
इस जीत से बतौर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने जीत से वापसी की। रवींद्र जडेजा को सीजन शुरू होने से पहले सीएसके का कप्तान बनाया गया था, लेकिन हैदराबाद के खिलाफ मैच से पहले उन्होंने कप्तानी छोड़ दी और धोनी फिर से कप्तान बने। हालांकि, इस जीत से अंक तालिका में कुछ खास असर नहीं पड़ा और चेन्नई की टीम अब भी नौवें स्थान पर ही मौजूद है। वहीं, हैदराबाद की टीम नौ मैचों में पांच जीत के साथ चौथे स्थान पर है।
मैच के टर्निंग प्वाइंट्स
1. ऋतुराज गायकवाड़ का फॉर्म में वापस लौटना:
ऋतुराज ने इस मैच से पहले तक आठ मैचों में 138 रन बनाए थे। धोनी के कप्तानी वाले रोल में लौटते ही यह युवा बल्लेबाज भी अपने फॉर्म में लौट आया और उसने 57 गेंदों पर 99 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली। इस पारी में ऋतुराज ने छह चौके और छह छक्के लगाए। उनकी इस पारी की बदौलत चेन्नई की टीम पहले पावरप्ले और फिर मैच में प्रभाव छोड़ पाई।
2. चेन्नई की शानदार ओपनिंग:
इस मैच के लिए चेन्नई की टीम में बदलाव किए गए। रॉबिन उथप्पा को ओपनिंग की जिम्मेदारी से मुक्त किया गया और न्यूजीलैंड के विस्फोटक बल्लेबाज डेवोन कॉन्वे को ऋतुराज के साथ ओपनिंग की जिम्मेदारी मिली। कॉन्वे ने इस रोल को बखूबी निभाया और 55 गेंदों पर 85 रन की आक्रामक पारी खेली। वह अंत तक बल्लेबाजी करते रहे। अपनी पारी में कॉन्वे ने आठ चौके और चार छक्के लगाए। कॉन्वे और ऋतुराज ने 182 रन की ओपनिंग साझेदारी कर कई रिकॉर्ड अपने नाम किए।
3. उमरान समेत हैदराबाद के गेंदबाजों का फींका प्रदर्शन:
अब तक टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाले तूफानी गेंदबाज उमरान मलिक इस मैच में कुछ खास नहीं कर सके। उन्होंने चार ओवर में 48 रन लुटाए और कोई विकेट नहीं मिला। इसके अलावा मार्को यानसेन, एडेन मार्करम और शशांक सिंह भी काफी महंगे साबित हुए। भुवनेश्वर कुमार ने अच्छी गेंदबाजी की पर उन्हें विकेट नहीं मिला। टी नटराजन ने दो विकेट झटके, लेकिन इसके लिए उन्होंने 42 रन लुटाए।
4. केन विलियम्सन की धीमी बल्लेबाजी और त्रिपाठी फेल:
हैदराबाद के हार की मुख्य वजह उनकी बल्लेबाजी रही। बल्लेबाजी के लिए शानदार पिच पर अभिषेक शर्मा ने एसआरएच को तेज शुरुआत दिलाई। अभिषेक ने 24 गेंदों पर पांच चौके और एक छक्के की मदद से 39 रन बनाए। पावरप्ले में हैदराबाद ने अभिषेक का विकेट गंवाकर 58 रन बना लिए थे। इसके बाद जिम्मेदारी विलियम्सन और राहुल त्रिपाठी पर थी की वह इस पारी को आगे बढ़ाएं, पर राहुल त्रिपाठी का शून्य पर आउट होना इस प्लान पर पानी फेर गया।
विलियम्सन ने 47 रनों की पारी खेली, लेकिन इसके लिए उन्होंने 37 गेंद लिए। वह एक छोर से टिकने की कोशिश कर रहे थे और ऐसे में जरूरी रन रेट बढ़ता गया। निकोलस पूरन ने आखिर में कुछ बड़े शॉट जरूर लगाए, लेकिन यह हैदराबाद को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए काफी नहीं था।
5. मुकेश चौधरी का एक ओवर में दो विकेट लेना:
चेन्नई के उभरते सितारे बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मुकेश चौधरी ने इस मैच में दो बार एक ही ओवर में दो-दो विकेट लिए। सबसे पहले उन्होंने पावरप्ले के आखिरी ओवर यानी छठे ओवर की पांचवीं गेंद पर अभिषेक शर्मा और अगली गेंद पर राहुल त्रिपाठी को पवेलियन भेजा। इसके बाद 18वें ओवर में मुकेश ने चौथी गेंद पर शशांक सिंह और आखिरी गेंद पर वॉशिंगटन सुंदर का विकेट लेकर मैच पलट दिया। शशांक ने पिछले मैच में अच्छी बल्लेबाजी की थी और सुंदर भी बड़े शॉट लगाने में माहिर माने जाते हैं। मुकेश ने चार ओवर में 46 रन देकर चार विकेट झटके।
दोनों कप्तानों का प्रदर्शन
चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का प्रदर्शन इस मैच में कुछ खास नहीं रहा। वह ऋतुराज के आउट होने के बाद 18वें ओवर में बल्लेबाजी के लिए उतरे। 20वें ओवर में नटराजन ने धोनी को उमरान मलिक के हाथों कैच कराया। धोनी सात गेंदों पर आठ रन ही बना सके। अपनी पारी में धोनी ने एक चौका लगाया।
वहीं, हैदराबाद के कप्तान विलियम्सन ने इस सीजन में लगातार नौवीं बार टॉस जीता। विलियम्सन ने अपने गेंदबाजों को तो सही तरीके से रोटेट किया, लेकिन इसका फायदा उन्हें नहीं मिला। बल्लेबाजी में विलियम्सन ने बेहद धीमी पारी खेली। उन्होंने ठीक उसी प्रकार बल्लेबाजी की, जिस प्रकार केएल राहुल पंजाब किंग्स में बल्लेबाजी करते थे।
एक छोर से तो वह टिके रहे, लेकिन उन्होंने अपनी पारी को एक्सलरेट नहीं किया, जिससे हैदराबाद पर दबाव बढ़ता गया। जब विलियम्सन ने गियर बदलना चाहा तो अपना विकेट गंवा बैठे। विलियम्सन ने अपनी 37 गेंदों पर 47 रन की पारी में दो चौके और दो छक्के लगाए।
चेन्नई के लिए मैच में क्या कुछ खास रहा
सकारात्मक पक्ष:
धोनी के कप्तान के तौर पर लौटने से रवींद्र जडेजा पर दबाव हटा। इससे उनकी गेंदबाजी में भी निखार आया। जडेजा ने तीन ओवर में 15 रन खर्च किए। हालांकि, उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला। इससे पहले मैचो में जडेजा नौ के ऊपर इकोनॉमी से रन लुटा रहे थे। ऋतुराज और कॉन्वे की ओपनिंग जोड़ी ने कमाल का प्रदर्शन किया और आगे भी इन दोनों से टीम को अच्छी शुरुआत दिलाने की जिम्मेदारी होगी। मुकेश चौधरी लगातार अपनी स्विंग गेंदबाजी से विपक्षी टीम को परेशान कर रहे हैं।
नकारात्मक पक्ष:
टीम के फील्डर्स का प्रदर्शन पूरे टूर्नामेंट में लचर रहा है। हैदराबाद के खिलाफ भी चेन्नई के फील्डर्स ने चार कैच छोड़े। इसके अलावा एक रन आउट का मौका भी गंवाया। आगे के मैचों में टीम को इस क्षेत्र में सुधार लाना होगा। चेन्नई के खिलाड़ियों ने विलियम्सन का कैच छोड़ा और वह 47 रन बना गए। इसके अलावा पूरन के दो कैच छूटे और वह 33 गेंदों पर 64 रन की नाबाद पारी खेल गए। इसके अलावा चेन्नई को मुकेश के पार्टनर के तौर पर एक अच्छे तेज गेंदबाज की जरूरत है। मुकेश को दूसरे छोर से समर्थन नहीं मिल पा रहा है। इस मैच में सिमरजीत को मौका दिया गया और वह दो ओवर में 24 रन लुटा गए।
हैदराबाद के लिए मैच में क्या कुछ खास रहा
सकारात्मक पक्ष:
हैदराबाद के गेंदबाजों ने डेथ ओवर में एक बार फिर बेहतरीन गेंदबाजी की। एक वक्त चेन्नई ने 17 ओवर में 180 के करीब रन बना लिए थे और लग रहा था कि टीम 220 के स्कोर तक पहुंच जाएगी, लेकिन नटराजन और भुवनेश्वर ने बेहतरीन गेंदबाजी की और चेन्नई के बल्लेबाजों को ज्यादा रन नहीं बनाने दिए। भुवनेश्वर ने कम रन खर्च किए, तो वहीं नटराजन ने दो विकेट झटके। अभिषेक शर्मा का लगातार रन बनाना टीम के लिए अच्छी खबर है। वहीं, पूरन ने भी तूफानी पारी खेली। आगे के मैचों में उनका फॉर्म में रहना टीम के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
नकारात्मक पक्ष:
मार्को यानसेन ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ बेहतरीन गेंदबाजी की थी। हालांकि, उस मैच के बाद से पिछले दो मैचों में वह कुछ खास फॉर्म में नहीं दिखे हैं। गुजरात के खिलाफ आखिरी ओवर में यानसेन ने 25 प्लस रन खर्च किए। वहीं, चेन्नई के खिलाफ भी यानसेन ने चार ओवर के कोटे में 38 रन लुटा दिए। उमरान को अपने प्रदर्शन में निरंतरता रखनी होगी। बल्लेबाजी में राहुल त्रिपाठी भी कंसिस्टेंट नहीं रहे हैं। इस मैच में उनका शून्य पर आउट होना टीम के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। वह टीम के मुख्य बल्लेबाज हैं। मार्करम भी 17 रन बनाकर आउट हुए। टीम को एक राहुल तेवतिया जैसे फिनिशर की कमी भी खल रही है। शशांक सिंह ने पिछले मैच में अपने हाथ खोले थे, लेकिन इस मैच में वह बड़े शॉट लगाने में नाकाम रहे।