Mp News हाल ही में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक युवक बोतलबंद पानी पीकर बीमार हो गया। नकली ब्रांड नेम से बिक रही उस बोतल में पुराना और इंफेक्टेड पानी था। युवक के परिजनों ने आरोपी दुकानदार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की।
इस घटना में खास बात यह थी कि युवक ने जो पानी पिया था, वह असली ‘बिसलेरी’ का नहीं बल्कि उससे मिलते-जुलते नाम की नकली कंपनी का था। बाहर से देखने में दोनों के एक होने का भ्रम हो सकता था क्योंकि बोतल देखने में हूबहू असली ‘बिसलेरी’ जैसी दिख रही थी।
पानी जीवन का एक जरूरी हिस्सा है। एक सामान्य स्वस्थ इंसान को हर दिन औसतन 2-3 लीटर पानी की जरूरत होती है। एक वक्त था, जब देश में पानी की खरीद-बिक्री को पाप समझा जाता था। शहर के हर चौक-चौराहे पर प्याऊ होते थे।
लेकिन पिछले कुछ सालों में देश में बोतलबंद पानी यानी मिनरल वाटर के बाजार में तेजी से इजाफा हुआ है। इसका एक बड़ा कारण है, स्वच्छ पेयजल की कमी।
भारत में बिकने वाले प्रमुख बोतलबंद पानी के ब्रांड बिसलेरी, किनले, एक्वाफिना और रेल नीर हैं। लेकिन ग्राहकों को भ्रमित कर बाजार में इन फेसम ब्रांड के नाम से मिलते-जुलते नामों के प्रोडक्ट खुलेआम बेचे जा रहे हैं। इस नकली पानी को पीने से न सिर्फ जलजनित बीमारियों का खतरा रहता है, बल्कि कई बार यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि बोतलबंद पानी खरीदते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। साथ ही जानेंगे कि-
साल 1965 में मुंबई के ठाणे में बिसलेरी ने देश का पहला वाटर प्लांट लगाया था। उस वक्त लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि आने वाले वक्त में पानी की भी खरीद-बिक्री हो सकती है। शुरुआती दौर में इस कारोबार का खूब मजाक उड़ाया गया, लेकिन साल 2021 तक आते-आते भारत में बोतलबंद पानी का कारोबार 20 हजार करोड़ रुपए का हो गया है।
सवाल- मिनरल वाटर क्या होता है?
जवाब- मिनरल वाटर का मतलब है कि इस पानी में हमारे शरीर के लिए जरूरी तत्व जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, बाइकार्बोनेट, सल्फेट, क्लोराइड और फ्लोराइड जैसे मिनरल्स और अन्य ट्रेस तत्व मौजूद हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मुताबिक पीने के पानी में TDS की मानक सीमा 500 मिलीग्राम/लीटर है। यहां TDS का अर्थ पानी में मौजूद डिजॉल्व्ड ऑर्गेनिक तत्वों से है। यानी प्रति लीटर पानी में अगर 500 मिलीग्राम ठोस ऑर्गेनिक तत्व घुले हुए हैं तो यह पीने योग्य है।
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसकी मानक सीमा अलग तय की है। WHO के मुताबिक प्रति लीटर पानी में TDS की मात्रा 300 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए।
पीने के पानी का न्यूनतम TDS 50 PPM (पार्ट्स प्रति मिलियन) से नीचे नहीं होना चाहिए। अगर एक लीटर पानी में 300 मिलीग्राम से 600 मिलीग्राम तक TDS है तो उसे पीने योग्य माना जाता है।
सवाल- असली और नकली बोतलबंद पानी की पहचान कैसे करें?
जवाब- घर से बाहर निकलते ही प्यास लगने पर लोग पानी खरीदकर पीना पसंद करते हैं। दरअसल ऐसी धारणा है कि बोतल में बंद पानी पीने से सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बोतलबंद पानी के लिए लाइसेंस नंबर/बीआईएस नंबर देने के साथ पानी की गुणवत्ता के लिए कुछ मानक तय किए हैं। लेकिन लोग ये सब जांचें-परखे बिना ही सीधे बोतल खोलकर पानी पी लेते हैं।
बोतलबंद पानी के नाम पर देश में बड़े पैमाने पर घपलेबाजी हो रही है। देश की फेमस कंपनियों के नाम में हेरफेर करके बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है।
लोगों में बोतलबंद पानी को लेकर जागरुकता की कमी है। यही वजह है कि कहीं बोतल में बंद करके नल का पानी बेचा जा रहा है तो कहीं बोतल पर एक्सपायरी डेट जैसे FSSAI के मानकों का पालन नहीं हो रहा है। इस तरह का पानी पीने से कई जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
बोतलबंद पानी असली है या नहीं, नीचे ग्राफिक में दिए इन तरीकों से पहचान सकते हैं।
आइए इन पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं।
असली ब्रांड की स्पेलिंग मिलाएं
असली और नकली पानी की बोतल को पहचानने का सबसे अच्छा तरीका स्पेलिंग का मिलान करना है। इसके लिए आप इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं। जिस ब्रांड की पानी की बोतल खरीद रहे हैं, उस ब्रांड को गूगल पर सर्च करके देखें। हमेशा स्पेलिंग और लोगो मैच होने के बाद ही पानी की बोतल खरीदनी चाहिए।
ISI मार्क जरूर देखें
असली पानी की बोतल पर ISI मार्क लगा होता है। इस ISI मार्क के ऊपर एक कोड IS-14543 लिखा होता है। यह कोड असली पानी की बोतल की पहचान है।
FSSAI द्वारा जारी लाइसेंस नंबर देखें
खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा बोतलबंद पानी के लिए एक लाइसेंस नंबर जारी किया जाता है। यह लाइसेंस सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलता है, जो तय मानकों को पूरा करती हैं। बोतल पर लिखे लाइसेंस नंबर को FSSAI की वेबसाइट पर डालकर चेक भी कर सकते हैं।
सवाल- बोतल बंद पानी खरीदते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
जवाब- आज एयरपोर्ट से लेकर रेलवे स्टेशन, बस अड्डे या छोटी-बड़ी दुकानों में पानी की बोतल आसानी से मिल जाती है। आमतौर पर इन बोतलों की कीमत 20 रुपए से लेकर 300 रुपए तक होती है। ऐसे में पानी की बोतल खरीदते समय कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए।
नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए।
सवाल- भारतीय मानक संस्थान के BIS Care ऐप से असली पानी की बोतल की जांच कैसे कर सकते हैं?
जवाब- आपने जो पीने के लिए पानी खरीदा है, वह सेहत के लिए सही है या नहीं, यह जानने के लिए अपने स्मार्टफोन में BIS केयर ऐप इंस्टॉल करें।
इसके बाद इन स्टेप्स को फॉलो करें।
ऐप खोलते ही आपके स्मार्टफोन में कुछ आइकन दिखाई देंगे।
Mp News इनमें से पहले ISI के साथ वेरिफाइड लाइसेंस डिटेल्स के ऑप्शन पर क्लिक करें।
इसके बाद सीएम/एल कोड मांगा जाएगा। यह 10 अंकों का कोड बोतल पर लिखा होता है।
कोड डालने पर बोतल के मैन्युफैक्चरर का नाम, पता और बोतल की एक्सपायरी डेट जैसी सारी जरूरी जानकारी सामने आ जाएगी।