पूर्वोत्तर के दो राज्यों नगालैंड व मणिपुर के बीच दशकों से जारी सीमा विवाद हल करने के लिए एक आदिवासी संगठन ने परंपरागत स्वामित्व के तरीके को आजमाने का सुझाव दिया है। दोनों राज्यों की तेनीमी जनजातियों के शीर्ष संगठन तेनीमी पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (टीपीओ) ने कहा कि सीमा विवाद सुलझाने का यह सबसे अच्छा तरीका होगा।
टीपीओ के अध्यक्ष तिमिखा कोजा ने कहा कि 2017 में केजोल्त्सा, कोजिरी, काजिंग, डीज कू इलाकों में तीन दावेदार पक्षों द्वारा मध्यस्थता समझौते पर दस्तखत किए गए थे, लेकिन पांच साल से अधिक समय हो गया है, कोई हल नहीं निकला है। इसलिए उसका मानना है कि इस विवाद का हल नगा समुदाय के परंपरागत तरीके का सम्मान करते हुए ही किया जा सकता है।
इस विवाद के पक्षकारों में नगालैंड के दक्षिणी अंगामी पब्लिक ऑर्गनाइजेशन (एसएपीओ) और मणिपुर की माओ काउंसिल तथा मारम खुल्लेन शामिल हैं। टीपीओ ने पत्राचार से दोनों राज्यों की सरकारों को स्पष्ट कर दिया है कि उसका राज्यों और उसकी सीमाओं के मामलों में हस्तक्षेप का कोई इरादा नहीं है। वह केवल तेनीमी जनजातियों के भीतर गलतफहमी और विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।
टीपीओ ने आरोप लगाया कि इन सभी अपीलों और प्रयासों के बावजूद मणिपुर सरकार विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान और सभी संबंधितों के बीच स्वस्थ संबंधों की बहाली की दिशा में काम कर रहे लोगों के अच्छे इरादों को विफल करने पर तुली हुई है।
यह मणिपुर सरकार की अवहेलना और गलत मंशा है। इसने एसएपीओ को बंद का आह्वान करने के लिए उकसाया है। इस मुद्दे को लेकर एसएपीओ 23 मार्च से अनिश्चितकालीन बंद पर है। टीपीओ ने कहा कि शांति और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका पारंपरिक स्वामित्व का सम्मान करना और राज्य की सीमाओं पर नुकसान पहुंचाए बिना समझ बनाने की कोशिश करके विवादों का समाधान करना है।