भारत में करोड़ों कर्मचारियों के लिए बीते शुक्रवार केंद्र सरकार ने बड़ी राहत देते हुए श्रम कानूनों में कई अहम बदलाव किए. नए श्रम कानूनों में कर्मचारियों को मिलने वाली सैलरी, ग्रेच्यूटी के साथ-साथ उनके ओवरटाइम, नाइट शिफ्ट, छंटनी जैसे कई मुद्दों पर उन्हें बड़ी राहत दी है. सरकार ने बिखरे पड़े 29 कानूनों को अब 4 नए लेबर कोर्ड में मर्ज कर दिया है. शुक्रवार (21 नवंबर) को श्रम कानून मंत्री डॉ. मनसुख मांडिया ने लेबर कोड में हुए बदलाव की जानकारी देते हुए बताया कि देश में अब नई श्रम संहिताएं लागू हो गईं हैं.
देश में करीब 40 करोड़ से अधिक कर्मचारी हैं, जो किसी न किसी क्षेत्र में काम कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. कई बार कर्मचारियों को उनके एम्प्लॉयर द्वारा शोषित किया जाता है. उन्हें कभी सैलरी, छुट्टी या अन्य अन्य चीजों को लेकर परेशान किया जाता है. ऐसे में सरकार द्वारा लागू किए गए नए लेबर कोड अब कर्मचारियों की हक की रक्षा के लिए उन्हें और भी सुरक्षा प्रदान करते हैं. ये बदलाव देश में कारोबारी व्यवस्था से लेकर आम कर्मचारियों की रोजमर्रा की नौकरी तक, हर जगह असर डालने वाले हैं. आइए जानते हैं क्या हैं ये 4 लेबर कोड?
वेजेज कोड (2019) और इसके प्रवाधान
जैसे की नाम से ही पता चलता है इस लेबर कोड में वेतन और बोनस से जुड़े चार कानूनों- मेंट ऑफ वेजेज एक्ट, न्यूनतम वेतन अधिनियम, बोनस भुगतान अधिनियम और समान पारिश्रमिक अधिनियम को शामिल किया गया है. इस कोड का मकसद सैलरी से जुड़े सभी नियमों को साफ, सरल और पूरे देश में एक समान बनाना है, जिससे कर्मचारियों के समय पर उनका वेतन और मेहनत का पैसा मिले और कंपनियां भी इसका पालन आसानी से कर सकें
- केंद्र सरकार अब एक न्यूनतम आधार वेतन (फ्लोर वेज) निश्चित करेगा. इसका सीधा मतलब यह है कि कोई राज्य इससे नीचे वेतन तय नहीं कर सकता, जिससे पूरे देश में मजदूरी का स्तर बराबर रहेगा और सभी राज्यों में श्रमिकों को न्याय मिलेगा.
- कर्मचारी का वेतन अब उसके कौशल, काम के प्रकार और इलाके की लागत के आधार पर आंकलन किया जाएगा. इससे अलग-अलग पेशों के लोगों को उनकी मेहनत के मुताबिक, उपयुक्त वेतन मिल सकेगा, चाहे वह किसी भी जगह या काम में हो.
- अब किसी की भर्ती या वेतन को लेकर लिंग, महिला-पुरुष या ट्रांसजेंडर को लेकर भेदभाव नहीं होगा. जो भी काम एक जैसा है, उस पर वेतन भी सभी को एक बराबर मिलेगा. समान काम के लिए ‘समान वेतन’ का कानून अब और पुख्ता हो गया है.
- किस भी श्रेणी के कर्मचारी को अब वेतन समय पर देना जरूरी है. अगर कोई संस्थान वेतन देने में देर करता है या वेतन में बिना कारण कटौती करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी.
- अगर कोई कर्मचारी तय समय से ज्यादा काम करता है, तो उसे सामान्य वेतन की तुलना में दुगना पैसा ओवरटाइम के लिए मिलेगा. और ओवरटाइम केवल तभी लिया जा सकेगा, जब कर्मचारी खुद राजी हो.
- कर्मचारियों को वेतन देना हर हाल में मालिक यानी एम्प्लॉयर की जिम्मेदारी होगी. वेतन न मिलने की हालत में श्रमिक अपने हक की राशि मांग सकते हैं, और कंपनी कानूनी जिम्मेदार मानी जाएगी.
- अगर किसी एम्प्लॉयर से पहली बार कोई छोटा उल्लंघन होता है, तो वह जुर्माना भरकर मामला खत्म कर सकता है. लेकिन अगर गलती दोबारा हुई, तो उसे फिर छूट नहीं मिलेगी, तब एम्प्लॉयर के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
- एम्प्लॉयर के खिलाफ कुछ मामलों में अब जेल भेजने के बजाय आर्थिक जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है, जो कुल जुर्माने के आधे तक जा सकता है. इससे कानून ज्यादा व्यावहारिक बनेगा और हर छोटी गलती के लिए जेल नहीं जाना पड़ेगा














