Meesho IPO भारत के ई-कॉमर्स बाजार में, खासकर छोटे शहरों और कस्बों में अपनी खास जगह बनाने वाले मीशो (Meesho) को लेकर बड़ी खबर आई है. कंपनी अपने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के लिए पूरी तरह तैयार है. बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने मीशो को ₹6,600 करोड़ का IPO लाने की मंजूरी दे दी है. यह इस साल के बड़े IPO में से एक हो सकता है. कंपनी की योजना दिसंबर तक शेयर बाजार में लिस्ट होने की है. इस IPO का मतलब है कि अब आम निवेशक भी इस तेजी से बढ़ती कंपनी में हिस्सेदार बन सकेंगे.
ये है IPO का हिसाब-किताब
इस ₹6,600 करोड़ के IPO में दो हिस्से होंगे. कंपनी ₹4,250 करोड़ नए शेयर जारी करके जुटाएगी. यह पैसा सीधे मीशो के पास जाएगा, जिसे वह अपने कारोबार को बढ़ाने और अन्य जरूरतों में इस्तेमाल करेगी. IPO का बाकी हिस्सा ‘ऑफर-फॉर-सेल’ (OFS) के जरिए आएगा. इसका मतलब है कि कंपनी के मौजूदा निवेशक, जिन्होंने शुरुआत में कंपनी पर दांव लगाया था, वे अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर मुनाफा कमाएंगे.
इन निवेशकों में एलिवेशन कैपिटल (Elevation Capital) और पीक XV पार्टनर्स (Peak XV Partners) जैसे बड़े नाम शामिल हैं. यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जहां शुरुआती निवेशक कंपनी के पब्लिक होने पर अपना निवेश भुनाते हैं. दिलचस्प बात यह है कि कंपनी के संस्थापक, सीईओ विदित आत्रे (Vidit Aatrey) और सीटीओ संजीव बर्नवाल (Sanjeev Barnwal) भी IPO में अपने कुछ शेयर बेचेंगे.
एक तरफ बड़ा घाटा, दूसरी तरफ रेवेन्यू में तेज उछाल
अब बात करते हैं कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य की, जो किसी भी निवेशक के लिए सबसे अहम है. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मीशो ने ₹3,941 करोड़ का शुद्ध घाटा दिखाया है. यह आंकड़ा पहली नजर में निवेशकों को चौंका सकता है. हालांकि, कंपनी ने अपनी IPO फाइलिंग में इस घाटे की वजह भी स्पष्ट की है.
मीशो के मुताबिक, यह घाटा मुख्य रूप से ‘वन-टाइम’ यानी सिर्फ एक बार हुए खर्चों के कारण है. इसमें IPO से जुड़ी लागतें, कंपनी को अमेरिका से वापस भारत में पंजीकृत करने (रिवर्स फ्लिप) पर लगा टैक्स और अन्य परक्विजिट टैक्स शामिल हैं, जो कंपनी को पब्लिक स्ट्रक्चर में बदलने के लिए जरूरी थे.
अगर घाटे को अलग रखकर देखें, तो वित्त वर्ष 2025 में कंपनी के अन्य आंकड़े काफी मजबूत नजर आते हैं. मीशो का ऑपरेटिंग रेवेन्यू (कामकाज से होने वाली आय) 25% बढ़कर ₹9,390 करोड़ हो गया. वहीं, कंपनी का नेट मर्चेंडाइज वैल्यू (NMV) 30% बढ़कर ₹30,000 करोड़ पर पहुंच गया. NMV का मतलब है कि कंपनी के प्लेटफॉर्म पर कुल कितने रुपये का सामान बिका (इसमें से रिटर्न और कैंसिलेशन को घटा दिया गया है).
ये हैं मीशो की ग्रोथ के दो बड़े इंजन
मीशो की असली ताकत उसके ग्राहक हैं, जो ज्यादातर टियर-2, टियर-3 और उससे भी छोटे शहरों से आते हैं. वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का सालाना ट्रांजैक्शन करने वाला यूजर बेस 28% बढ़ा है. इस साल अप्रैल से जून की तिमाही में यह आंकड़ा 213 मिलियन (21.3 करोड़) तक पहुंच गया.
यह भी देखने में आया है कि लोग मीशो से बार-बार खरीदारी कर रहे हैं. वित्त वर्ष 2023 में जहां एक ग्राहक साल में औसतन 7.5 बार ऑर्डर करता था, वहीं FY25 में यह बढ़कर 9.2 बार हो गया. यह ट्रेंड इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत में ई-कॉमर्स की अगली ग्रोथ इन्हीं शहरों से आ रही है. बेन एंड कंपनी की एक रिपोर्ट भी कहती है कि 2020 के बाद से हर पांच में से तीन नए ऑनलाइन खरीदार टियर-3 या उससे छोटे शहरों से आए हैं. मीशो ने इसी बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत की है.
कंपनी की इस तेज ग्रोथ के पीछे उसका खुद का लॉजिस्टिक्स आर्म ‘वाल्मो’ (Valmo) है. पिछले साल फरवरी में लॉन्च होने के बाद से ही वाल्मो ने मीशो के लगभग 61% ऑर्डर संभाले हैं. इस साल अप्रैल-जून में वाल्मो ने 300 मिलियन (30 करोड़) शिपमेंट हैंडल किए, जो कि इंडस्ट्री के बड़े खिलाड़ियों जैसे डेल्हीवेरी (Delhivery) को भी पीछे छोड़ देता है.