Kalpana Chawla Birth Anniversary: कैसे अंतरिक्ष में उड़ान भर कल्पना ने देश का बढ़ाया था मान…

हरियाणा: अंतरिक्ष को हर कोई निहारता है, लेकिन अनंत अंतरिक्ष की गहराइयों में क्या है, उसे करीब से देखने का मौका कुछ लोगों को ही मिलता है। उन्हीं में से एक थीं भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला।

उनका जन्म 17 मार्च, 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। विज्ञान हमेशा से उनका पसंदीदा विषय था और बचपन से ही फ्लाइट इंजीनियर बनने का सपना देखती थीं।

पंजाब इंजीनियरिंग कालेज सेएयरोनाटिकल इंजीनियरिंग के बाद वे मात्र 20 साल की उम्र में आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गईं। उन्होंने यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की।

उसके बाद कोलराडो यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। इसी दौरान उन्होंने 2 दिसंबर, 1983 को जीन पियरे हैरिसन से शादी कर ली।

नासा के साथ सफर:

कल्पना चावला ने वर्ष 1988 में नासा के लिए काम करना शुरू कर दिया था। फिर दिसंबर, 1994 में स्पेस मिशन के लिए उनका चयन अंतरिक्ष-यात्री यानी एस्ट्रोनाट के रूप में कर लिया गया।

वर्ष 1997 में उन्हें पहली बार स्पेस मिशन पर मिशन स्पेशलिस्ट और प्राइमरी रोबोटिक आर्म आपरेटर के रूप में उड़ान भरने का अवसर मिला था। 19 नवंबर, 1997 को अंतरिक्ष मिशन पर प्रस्थान करते ही उन्होंने एक नया इतिहास रच दिया। वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं। इस मिशन के दौरान उन्होंने कुल 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताये थे।

आपको यह भी बता दें कि कल्पना चावला ने वर्ष 1993 में पहली बार नासा के स्पेस मिशन के लिए आवेदन किया था, लेकिन तब उसे अस्वीकार कर दिया गया था। वर्ष 1991 में उन्होंने अमेरिका की नागरिकता हासिल कर ली थी।

कह गईं अलविदा:

कल्पना चावला हमेशा छात्रों से कहती थीं कि आपका जो भी लक्ष्य हो, उसकी तरफ देखो और उसका पीछा करो। उन्होंने 16 जनवरी, 2003 को अपने दूसरे मिशन के लिए फिर उड़ान भरी। यह मिशन स्पेस शटल कोलंबिया एसटीएस -107 था, जो स्पेस शटल प्रोग्राम का 113वां मिशन था। इस मिशन पर वह मिशन विशेषज्ञ की भूमिका में थीं।

स्पेस शटल की मिशन से वापसी एक फरवरी को होनी थी। एसटीएस-107 स्पेस शटल धरती पर आने ही वाला था कि लैंडिंग से केवल 16 मिनट पहले वह आग के गोले में बदल गया। इस हादसे में कल्पना सहित पूरे दल की मृत्यु हो गई। कल्पना चावला नहीं रहीं, लेकिन उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनी रहेगी।