PFI गृह मंत्रालय ने पीएफआई को गैरकानूनी संगठन करार दिया है। संगठन पर 5 साल के लिए बैन लगाया गया है। बता दें कि बीते कल भी 8 राज्यों में जांच एजेंसियों ने पीएफआई के खिलाफ छापेमारी की थी। जिसमें 170 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले 15 राज्यों में एनआईए और ईडी ने संगठन के खिलाफ छापे मारे थे। जिसमें पीएफआई के बड़े नेताओं समेत 106 लोग गिरफ्तार किए गए थे।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA और प्रवर्तन निदेशालय ED की लगातार छापेमारी के बाद केंद्र सरकार ने गजवा-ए-हिंद का इरादा रखने वाले कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI और उसके अन्य संगठनों पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। गृह मंत्रालय ने पीएफआई को गैरकानूनी संगठन करार दिया है। संगठन पर 5 साल के लिए बैन लगाया गया है। बता दें कि बीते कल भी 8 राज्यों में जांच एजेंसियों ने पीएफआई के खिलाफ छापेमारी की थी। जिसमें 170 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले 15 राज्यों में एनआईए और ईडी ने संगठन के खिलाफ छापे मारे थे। जिसमें पीएफआई के बड़े नेताओं समेत 106 लोग गिरफ्तार किए गए थे।
ईडी ने कोर्ट में पेश रिमांड नोटिस में दावा किया था कि पीएफआई के कारकूनों का इरादा पटना में रैली के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी पर हमले का भी था। इसके अलावा दस्तावेजों से पता चला कि संगठन ने 120 करोड़ रुपए हवाला के जरिए इकट्ठा किए थे। इस रकम से यूपी में दंगे भड़काने और नामचीन लोगों की हत्या की साजिश थी। पहले भी पीएफआई के बारे में पता चला था कि दिल्ली में हुए सीएए विरोधी दंगों में संगठन के लोगों का हाथ रहा है। तभी से पीएफआई पर बैन लगाने की मांग लगातार हो रही थी। केंद्र सरकार ने अपनी एजेंसियों के हाथ संगठन के बारे में सबूत आने पर अब बैन लगाने का फैसला किया है।
PFI पीएफआई के दो सदस्य बिहार में इसी साल पकड़े गए थे। उनके पास से 8 पन्नों का विजन डॉक्यूमेंट मिला था। इस दस्तावेज से पता चला था कि पीएफआई साल 2047 तक भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने की साजिश रच चुका था। पीएफआई के ही एक सदस्य को कर्नाटक के शिवमोगा में बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या की साजिश रचने में गिरफ्तार किया गया है। पीएफआई पर केरल में एक प्रोफेसर के हाथ काट डालने का भी आरोप लगा था। हालांकि, संगठन ने इन सारे आरोपों को लगातार गलत बताया, लेकिन सबूतों के आधार पर उसके खिलाफ अब बैन लग चुका है।