रायगढ़, 6 जुलाई। गुरुवार सुबह रायगढ़ रेलवे स्टेशन में मुसाफिरों ने जमकर हंगामा किया। दरअसल, बीआर लोकल मेमू जब दो घंटे तक यहां से रवाना नहीं हुई तो सब्र का बांध फूटते ही आक्रोशित मुसाफिरों ने न केवल सीएसएम चेम्बर जाकर अपनी भड़ास निकाली, बल्कि ट्रेन्स की लेटलतीफी को लेकर रेल प्रबंधन को जिम्मेदार भी ठहराया।
कहने की तो रायगढ़ को ए ग्रेड रेलवे स्टेशन होने का दर्जा मिला है, मगर यात्री सुविधा के नाम पर यहां ऐसी कोई चीज नहीं दिखती जिसे उपलब्धि कहा जा सके। मालगाड़ियों के परिचालन के चलते यात्री ट्रेनों को आऊटर में घण्टों तक खड़े करना अब आम बात सी हो गई है। सुबह रायगढ़ से बिलासपुर चलने वाली बीआर लोकल मेमू रात किस टाईम वापस आएगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इसी तरह जनशताब्दी एक्सप्रेस का तो इससे भी बुरा हाल होने के कारण रात में यह अपने निर्धारित समय से घंटों देर यानी सुबह तक भी लौटती है। यही कारण है कि लोग अब ट्रेन से सफर करने से कतराने लगे हैं। बावजूद इसके रेल परिचालन में कोई सुधार नहीं हुआ। वहीं, गुरुवार को स्टेशन मास्टर के चेम्बर जाकर हलाकान मुसाफिरों ने बवाल किया, तब कहीं जाकर बीआर लोकल मेमू रायगढ़ से 2 घंटे विलंब से रवाना हुई।
बताया जाता है कि इन दिनों चांपा से नैला स्टेशन के बीच नॉन इंटरलाकिंग का कार्य चल रहा है। ऐसे में बिलासपुर डिवीजन ने दिनभर में दो फिरों में चलने वाली बीआर लोकल मेमू के एक फेरे को बीते 3 से 6 जुलाई तक बन्द कर दिया था।
रायगढ़ से बिलासपुर जाने वाली बीआर मेमू पैसेंजर को अपने निर्धारित समय सुबह साढ़े 7 बजे बजे रवाना होना था, इसलिए आधे घंटे पहले से ही यात्री स्टेशन पहुंचकर ट्रेन में भी बैठ गए थे, लेकिन घंटे भर गुजरने के बाद भी ट्रेन स्टेशन में ही खड़ी रही। वहीं, जब 9 बजे तक बीआर ने प्लेटफार्म नहीं छोड़ी तो गर्मी से बेहाल यात्रियों का गुस्सा फूटते ही वे स्टेशन मास्टर के चेंबर जा पहुंचे।
मुख्य स्टेशन मास्टर प्रेम कुमार राउत को अपने चेम्बर में आराम फरमाते देख मुसाफिरों का पारा चढ़ते ही वे पूछने लगे कि बीआर आखिर कब छूटेगी।सीएसएम के साथ बैठे एक रेल कर्मचारी ने सफाई देते हुए कहा कि बीती दरमियानी रात ढाई बजे ट्रेन आने के कारण पायलट सही टाइम में तैयार नहीं हो पाया तो यात्री भड़क गए।
यात्रियों का कहना था कि जो ट्रेन दूर से आ रही है, वह लेट हो रही है तो ठीक है, लेकिन स्टेशन में खड़ी होने के बाद भी बीआर समय से रवाना नहीं होने से नौकरीपेशा, पढ़ने जाने वाले स्टूडेंट्स और बिलासपुर से आगे जा रहे मुसाफिरों को काफी झंझावतें उठानी पड़ रही है। काफी आरोप-प्रत्यारोप के बाद अफसरों के समझाने पर ट्रेन को जब 2 घंटे के बाद रवाना किया गया, तब कहीं जाकर बवाल शांत हुआ।