सोने में निवेश भारतीयों की पुरानी परंपरा रही है, लेकिन अब वक्त के साथ सोना खरीदने का तरीका बदल गया है. पहले लोग फिजिकल गोल्ड यानी आभूषण या सिक्के खरीदते थे, लेकिन अब लोग डिजिटल गोल्ड की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. यह आधुनिक और सुविधाजनक तरीका है, जिसमें न तो स्टोरेज की टेंशन होती है और न ही चोरी का डर. लेकिन निवेश करने से पहले इसके कुछ अहम पहलुओं को समझना जरूरी है.
क्यों बढ़ रही है डिजिटल गोल्ड की लोकप्रियता
डिजिटल गोल्ड 24 कैरेट यानी 99.99% शुद्ध सोना होता है. इसमें मेकिंग चार्ज या वेस्टेज का झंझट नहीं होता और इसे सुरक्षित, बीमित वॉल्ट्स में रखा जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि आप कभी भी 24 घंटे और 7 दिन किसी भी राशि में सोना खरीद या बेच सकते हैं. चाहे 1 रुपए हो या10 लाख रुपए, जितनी क्षमता हो उतनी रकम से शुरुआत की जा सकती है. चाहें तो आगे चलकर सिक्कों या बार्स के रूप में इसकी फिजिकल डिलीवरी भी ली जा सकती है.
छिपे हुए चार्ज जिन पर कम ध्यान दिया जाता है
ज्यादातर लोग सोचते हैं कि डिजिटल गोल्ड में सिर्फ 3% जीएसटी देना होता है, लेकिन इसके अलावा कई छिपे हुए खर्चे भी होते हैं. इनमें प्लेटफॉर्म डिस्ट्रीब्यूशन फीस, यूपीआई या पेमेंट गेटवे चार्ज, स्टोरेज और कस्टडी फीस, तथा डिलीवरी चार्ज शामिल हैं. शुरुआत में ये रकम छोटी लग सकती है, लेकिन लंबे समय में यह निवेश की कुल लागत को बढ़ा सकती है. इसलिए खरीदारी से पहले इन सभी शुल्कों को अच्छी तरह समझना जरूरी है.
क्या आपका सोना सुरक्षित है?
डिजिटल गोल्ड की सुरक्षा काफी हद तक उस प्लेटफॉर्म और उसके वॉल्ट पार्टनर पर निर्भर करती है, जहां आप निवेश कर रहे हैं. कुछ कंपनियां अपने वॉल्ट्स की थर्ड पार्टी से ऑडिट कराती हैं और रिपोर्ट सार्वजनिक करती हैं, जबकि कुछ नहीं करतीं. इसलिए निवेश से पहले यह देख लें कि प्लेटफॉर्म कितना पारदर्शी (transparent) है और उसकी विश्वसनीयता क्या है.
छोटे निवेशकों के लिए आसान विकल्प
डिजिटल गोल्ड की सबसे खास बात यह है कि इसमें निवेश शुरू करने के लिए आपको बड़ी रकम की जरूरत नहीं होती. आप 1 रुपए या 10 रुपए से भी शुरुआत कर सकते हैं और SIP (Systematic Investment Plan) के जरिए हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश करके धीरे-धीरे सोने की बचत बढ़ा सकते हैं. इसमें डिमैट अकाउंट की जरूरत भी नहीं पड़ती, जिससे यह शुरुआती निवेशकों के लिए आसान विकल्प बन जाता है.
टैक्स और नियमों की जानकारी रखें
अभी डिजिटल गोल्ड पर SEBI या RBI का कोई सीधा रेगुलेशन नहीं है. हर खरीद पर 3% जीएसटी देना पड़ता है. अगर आप इसे 3 साल के अंदर बेचते हैं, तो मुनाफे पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. वहीं, 3 साल के बाद बेचने पर यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा, जिस पर 20% टैक्स लगेगा, साथ ही इंडेक्सेशन बेनिफिट भी मिलेगा.












